जमात ने की तीन तलाक विधेयक की मुखालफत

नयी दिल्ली। प्रमुख मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद ने केंद्र सरकार की ओर से तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के खिलाफ लाए गए विधेयक को आज ‘गैरजरूरी’ करार दिया और कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 25 और महिला अधिकारों के विरूद्ध है।मुस्लिम (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को पिछले शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में पारित किया गया और फिलहाल राज्यसभा में चर्चा के लिए लाया गया है।जमात के अध्यक्ष मौलाना सैयद जलालुद्दीन उमरी ने आज संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह विधेयक गैरजरूरी है। यह शरिया, अनुच्छेद 25 (आस्था की स्वतंत्रता) और महिला अधिकारों के भी खिलाफ है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ विधेयक में प्रावधान किया गया है कि तलाक देने वाले पति की जिम्मेदारी होगी कि वह पीडि़ता को गुजारा भत्ता दे। लेकिन अजीबो-गरीब बात यह है कि अगर वह पति जेल में चला जाएगा तो फिर गुजाराभत्ता कौन देगा। सजा के प्रावधान से महिलाओं का कोई भला नहीं होने वाला है।’’ उमरी ने कहा कि सरकार को इस विधेयक को तैयार करते समय मुस्लिम संगठनों, इस्लामी जानकारों और महिला समूहों से विचार-विमर्श करना चाहिए था।उन्होंने असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर आरोप लगाया कि देश के वास्तविक नागरिकों को उनके मूल अधिकारों से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है।