परमहंस गंगादास बाबा आश्रम में मनाया गया 40 वां मानवता अभ्युदय महायज्ञ।

गाजीपुर। ब्रम्हलीन संत परमहंस स्वामी गंगारामदास की तपस्थली श्रीगंगाआश्रम, बयेपुर देवकली,  गाजीपुर में प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी मानवता अभ्युदय महायज्ञ का आयोजन किया गया।
मानवधर्म प्रसार समाजसेवी संस्था द्वारा आयोजित 40 वे मानवता अभ्युदय महायज में कई सन्त महात्मा उपस्थित थे।
26 मार्च से 5 अप्रैल तक इसका आयोजन किया गया।  5 अप्रैल को भण्डारा के साथ इस महायज्ञ का समापन हुआ।आयोजन मे प्रथम और अंतिम दिन वैदिक मंत्रों के साथ गंगा पूजन किया गया। 27 मार्च से 4 अप्रैल तक प्रतिदिन सुबह शाम यज्ञशाला में यज्ञ, आश्रम में श्रीरामचरितमनस का नवान्हँ पाठ किया गया तथा 7बजे से कथा मंडप में ईशवन्दन के बाद, गुरुअर्चा तथा आश्रम से जुड़े जमुना सिंह यादव द्वारा रचित श्री सद्गुरु चरित, जीवनदर्शन काव्य के नियमित पाठ के बाद  योग्य वक्ताओं और संतों द्वारा श्री महाराज जी द्वारा प्रवर्तित मानव धर्म प्रसार पर प्रवचन किया गया, जिसमें लौकिक और पारलौकिक लीवन को सफल बनाने के मूल मंत्र सत्य, न्याय और धर्म की व्यख्या और प्रत्येक मनुष्य को इसे जीवन मे अपनाने को प्रेरित किया गया ।इस अवसर पर प्रतिदिन संस्था के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर संत राजेन्द्र दास”पूज्य बापू जी” का प्रतिदिन  प्रभावी प्रवचन हुआ। संस्था और यज्ञ का मुख्य उद्देश्य कि मनुष्य कुछ भी बनने से पूर्व मानव बने, सत्य,न्याय और धर्म को जीवन में धारण करते हुए सभी सम्प्रदायों और उनके संतों का आदर करें क्योंकि मानव एक जाति है और मानवता ही एक धर्म है।सबको स्थानीय न्याय मिले, किसी को न्यायालय न जाना पड़े, इसलिए संस्था गाँव गाँव संगठन बनाकर पंचायत के माध्यम से लोगों को न्याय दिलाने का प्रयास करती है।
इस वर्ष मुख्य अतिथि के रूप में हथियाराम मठ के महंत महामण्डलेश्वर श्री भवानीनन्दन जी महाराज और दिगंबर अखाड़ा परिषद के महासचिव महामण्डलेश्वर श्री विष्णु दास जी उपस्थित हुए तथा  उनका प्रवचन भी हुआ।
हथियाराम मठ,गाजीपुर के संत श्री भवानीनन्दन यति जी महाराज के वैदिक गुरुकुल विद्यालय से पधारे़ विद्यार्थियों द्वारा वैदिक मंत्रों का पाठ किया गया । यति जी ने कहा कि भगवान को पाने के लिए सबरी की तरह प्रतीक्षा करनी पड़ती है।परीक्षा से भगवान नहीं मिलते।भक्ति के साथ प्रतीक्षा करे, राम स्वयं चलकर आएँगें। भ्रम के मार्ग से बचने का एकमात्र साधन है, सतसंग, संतसान्निध्य, सद्गुरु  के बताए मार्ग पर चलना और अपना दैनिक कर्तव्य करते रहना।
आपने परमहंस स्वामी गंगारामदास जी महाराज के तप, उनके द्वारा स्वयं आश्रम की सफाई, संतों की कर्तव्यपरायणता और आश्रम में अनुशासन की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि मोदी जी और जोगी जी देश प्रदेश को स्वच्छ बनाना चाहते हैं और भ्रष्टाचार मिटाना चाहते हैं तो सबसे पहले उन्हें इस गंगाआश्रम के ग्रंथो का अध्ययन करना चाहिये और यहाँ की ईमानदारी, सेवा और सफाई की व्यवस्था से सीख लेना चाहिए।
मंच पर विद्यमान दिगम्बर अखाड़ा के महासचिव महामण्डलेश्वर श्री वैष्णव दास जी महाराज मानव धर्म प्रसार समाजसेवी संस्था के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर संत श्रीराजेन्द्र दास जी तथा जंगीपुर विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक डा० वीरेन्द्र सिंह यादव का भी संबोधन हुआ। श्री वैष्णव दास जी महाराज ने कहा कि सबसे बड़ा सुख संत मिलन में है और सच्चे संत और सद्गुरु तभी मिलते हैं जब परमात्मा की कृपा होती है।
“संत मिलन सम सुख जग नाहीं।
“बिनु हरि कृपा मिलैं नहिं संता।।