अतिपिछड़ों व अल्पसंख्यकों को सपा सिर्फ वोट बैंक समझती है

lautam ramचौ. लौटन राम निषाद।
जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख चुनाव के बाद स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र की विधान परिषद सदस्य चुनाव की सीटों को पुलिस व प्रशासन के दबाव व गुन्डई से समाजवादी पार्टी चुनाव जीतने के काम जुटी है। राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ. लौटन राम निषाद ने कहा कि कुछ व्यक्तियों को खरीद कर या प्रशासनिक दबाव डालकर चुनाव जीता जा सकता है परन्तु विधान सभा चुनाव-2017 में सपा 50-60 सीट भी नहीं जीत पायेगी। उन्होंने कहा कि जिस तरह 2006 के पंचायत चुनाव में गुण्डा गर्दी व प्रशासनिक दबाव में अतिपिछड़ों व कमजोरों को चुनाव लडऩे से रोक कर लोकतंत्र की हत्या मुलायम सरकार द्वारा की गयी थी और विधान सभा चुनाव 2007 में सपा को मुॅह की खानी पड़ी थी, उसी तरह 2017 के विधान सभा चुनाव में भी सपा को हार का मुॅह देखना पड़ेगा।
श्री निषाद ने कहा कि 3 क्षेत्रों के विधान सभा उप चुनाव के परिणाम से सपा की सत्ता की उल्टी गिनती की तस्वीर सामने आने लगी है। उन्होंने कहा कि बीकापुर में खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री लक्ष्मीकांत पप्पू निषाद के प्रयास व जगदीश यादव व विजय कुमार निषाद, एडवोकेट के व्यवहार के कारण राष्ट्रीय निषाद संघ विरोध नहीं किया, जिसके कारण सपा जीत गयी। सपा विशम्भर निषाद, रामसुन्दर दास, शंखलाल मांझी को निषाद, बिन्द, कश्यप, समाज का बड़ा नेता मानकर निषाद समाज को सिरे से खारिज कर रही है। विधान सभा चुनाव 2017 में 38 प्रतिशत अतिपिछड़े सामाजिक अन्याय, जाति विशेष की गुन्डागर्दी का बदला सपा को हराकर लेंगे। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल की 131 सीटों में से सपा दहाई सीट भी जीत पायेगी।
श्री निषाद ने कहा कि समाजवादी पार्टी अतिपिछड़ों, निषाद मछुआरों व अल्पसंख्यकों को मात्र वोट बैंक समझती है और सत्ता पाने पर सिर्फ अपने गोत्र व कुनबे को आगे बढ़ाने का काम करती है। उन्होंने कहा कि अब अतिपिछड़े व मुसलमान सपा के झासे में आकर सामाजिक अन्याय का शिकार नहीं होंगे। उत्तर प्रदेश में हिन्दु, मुस्लिम सवर्ण जातियां-24.85 प्रतिशत, जाटव/चमार-11.52 प्रतिशत, अति दलित-9.11 प्रतिशत, जनजातियां-0.57 प्रतिशत व अन्य पिछड़े 54.5 प्रतिशत हैं। अन्य पिछड़े वर्ग में यादव-8.6 प्रतिशत, निषाद/मछुआरा-10.25 प्रतिशत, लोधी/किसान-3.60 प्रतिशत, कोयरी/काछी/सैनी/शाक्य/मौर्य/कुशवाहा-4.85 प्रतिशत, कुर्मी, जाट, गूजर, कलवार, सोनार, अरख, गोसाई आदि मध्यवर्ती पिछड़ी जातियां-6.62 प्रतिशत, पाल/बघेल-2.39 प्रतिशत, कुम्हार-1.84 प्रतिशत, बढ़ई/लोहार-2.82 प्रतिशत, भुर्जी/कांदू-0.77 प्रतिशत, राजभर-1.32 प्रतिशत, चैहान-1.26 प्रतिशत, नाई/सविता-1.63 प्रतिशत तथा सामान्य व पसमान्दा मुसलमान-16.86 प्रतिशत है। निषाद/कश्यप/बिन्द, पाल, बघेल, कोयरी, मौर्य, शाक्य, काछी, राजभर, चैहान, लोधी, किसान, जैसी अतिपिछड़ी जातियां प्रदेश में निर्णायक है, परन्तु सपा द्वारा इनके साथ दोयम दर्जे का बर्ताव किया जा रहा है। समाजवाद के नाम पर मुलायम परिवार द्वारा तुच्छ जातिवाद व परिवारवाद का नंगा नाच कर लोहिया, राना, लिमये व जयप्रकाश नारायण जी की विचार धारा की हत्या की जा रही है।