अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से फायदे

trump1अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की नीतियों को लेकर मची अफरा-तफरी अब खत्म हो रही है। भारत के राजनयिक और उद्योगपति उन्हें एक नजरिये से समझने में जुट गए है। पिछले दिनों विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि यह वक्त हड़बड़ी का नहीं बल्कि ठहरकर चीजों का ठीक से अध्ययन करने का है, उन्हें समझने का है। विदेशी नागरिकों और कंपनियों को लेकर सामने आ रही ट्रंप की नीति से एक बात तो बिलकुल साफ है कि अपने बाजार के लिए अमेरिका पर निर्भर भारतीय कंपनियों को अपनी रणनीति बदलनी होगी।
इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि बड़े देश किसी चीज से अपने कदम पीछे खींचते हैं तो वहां पर एक जगह बनती है। जो दूरंदेशी होते हैं, भविष्य को सोचकर योजनाएं बनाते हैं, वे उस जगह को भरने की सोचते हैं। नैसकॉम इंडिया लीडरशिप फोरम पर हुई चर्चा के दौरान रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा कि ट्रंप भारत के लिए बेहतर साबित हो सकते हैं, क्योंकि उनकी नीतियों के चलते घरेलू उद्योगों की उत्पादकता बढ़ाने का स्वर्णिम समय हमारे सामने उपस्थित हो गया है। वैसे भी हमारा घरेलू बाजार काफी बड़ा है, इसकी संभावनाएं तलाशने पर अब ज्यादा जोर दिया जा सकेगा।
टाटा संस के कार्यवाहक चेयरमैन एन चंद्रशेखरन भी कह चुके हैं कि आईटी इंडस्ट्री को लेकर ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह दुनिया की सबसे रोचक इंडस्ट्रीज में से एक है। बात सही भी है क्योंकि इसी इंडस्ट्री ने समय के साथ सबसे पहले बदलना सीखा है। विदेश सचिव एस जयशंकर ने रायसीना डायलॉग में कहा था कि भारत और अमेरिका की सरकारों के हितों और चिंताओं में कई समानताएं हैं। उन्होंने रूस और अमेरिका के संबंधों में भारी बदलाव की उम्मीद भी जताई थी। इस नजरिए से देखें तो कई सारे समीकरण बदलते दिखाई देते हैं। कई बिंदुओं पर भारत, रूस और अमेरिका एक साथ खड़े हो सकते हैं, जिसके चलते चीन की बार-बार टेढ़ी होने वाली भृकुटि सीधी भी हो सकती है। ट्रंप कई बार जता चुके हैं कि भारत और भारतीयों के लिए उनके दिल में विशेष स्थान है। दोस्ती का यह समीकरण और घरेलू उद्योगों की उत्पादकता बढ़ाने की चुनौती भारत के लिए कोई घाटे का सौदा नहीं है।