इंजीनियर्स करेंगे बुनकरी-कुम्हारी पर शोध

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लखनऊ। स्टेट के इंजीनियरिंग कॉलेजों में अब क प्यूटर इंजीनियरिंग ही नहीं, बल्कि बुनकर से लेकर कु हारों तक के लिए रिसर्च किए जाएंगे. शोध के जरिए किसानों, बुनकरों आदि के लिए शोध के जरिए नए विचारों, तकनीक आदि से उत्पादकता बढ़ाने पर जोर रहेगा. शासन की ओर से प्रस्तावित इनोवेशन व इंक्यूबेशन सेंटर्स की नीति निर्धारित करते हुए कानपुर, लखनऊ व गोरखपुर में नोडल सेंटर बनाने का एलान किया है. प्रदेश सरकार ने एकेटीयू के जरिए प्रदेश में इनोवेशन व इन्क्यूबेशन केंद्रों की स्थापना का फैसला किया है. प्राविधिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव मुकुल सिंहल ने बताया कि एचबीटीआइ कानपुर में सिविल व केमिकल इंजीनियङ्क्षरग, यूपीटीटीआइ कानपुर में टेक्सटाइल इंजीनियङ्क्षरग, आइईटी लखनऊ में इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियङ्क्षरग, कंप्यूटर साइंस और इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी, एमएमएमयूटी गोरखपुर में मैकेनिकल इंजीनियङ्क्षरग विधाओं के नोडल सेंटर स्थापित किए जाएंगे. प्रदेश के अन्य जिलों के इंजीनियङ्क्षरग कालेजों को इन नोडल सेंटर्स से संबद्ध किया जाएगा. इन केंद्रों के माध्यम से शिल्पकारों, बुनकरों, किसानों के साथ बढ़ई व कु हारों तक के लिए उपयोगी शोध पर जोर दिया जाएगा.

उत्पादकता बढ़ाने पर जोर
शासन की ओर से जारी नीति में इन सेंटर्स के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाने पर पूरा जोर दिया गया है. ये केंद्र नवीनतम तकनीकी एवं व्यावसायिक विचारों को वास्तविक उत्पाद एवं सेवाओं में परिवर्तित करेंगे. कृषि, विज्ञान, सेवाओं, तकनीकी आदि में नवीनतम अन्वेषण को मूर्त रूप में साकार करने पर जोर होगा. ऐसे उत्पाद विकसित किये जाएंगे जो वाणिज्यिक रूप से व्यावहारिक हों. लघु व मध्यम श्रेणी के उद्योगों में उत्पादकता बढ़ाने के उपाय किये जाएंगे. उद्योगों व अन्य संस्थाओं को परीक्षण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

हर जिले में स्क्रीनिंग कमेटी
उत्तर प्रदेश के हर नागरिक या यहां पंजीकृत हर संस्था को इन इन्क्यूबेशन व इनोवेशन केंद्रों का लाभ उठाने का मौका मिलेगा. इसके लिए आवेदनों को मंजूरी देने के लिए हर जिले में स्क्रीनिंग कमेटी बनेगी. इस कमेटी के अध्यक्ष राजकीय इंजीनियङ्क्षरग कालेज के निदेशक और समन्वयक राजकीय पॉलीटेक्निक के प्रधानाचार्य होंगे. जिले में राजकीय इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज न होने पर समन्वयक ही स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष भी होंगे.

पढ़ाई न बने आधार
नीति में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी भी प्रस्ताव को निरस्त करने के लिए पढ़ाई को बिल्कुल आधार न बनाया जाए. तर्क दिया गया है कि धरती से जुड़ी आम आदमी की बहुत से अनुभव, अनपढ़ अथवा कम पढ़े-लिखे लोगों व संसाधन विहीन व्यक्तियों के पास भी होते हैं. यह भी सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी विचार या प्रस्ताव को अपेक्षाकृत कम पढ़े लिखे, कमजोर अथवा संसाधन विहीन व्यक्ति द्वारा दिये जाने के कारण निरस्त न कर दिया जाए.