उतार-चढ़ाव के बीच 50 साल की हुई शिवसेना

shiv-senaनई दिल्ली (आरएनएस)। शिवसेना आज अपनी स्थापना की 50 साल पूरे होने का जश्न मना रही है। इस मौके पर शिवसेना की तरफ से गोरेगांव के एनएसई मैदान पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है जहां, हजारों की संख्या में शिवसैनिकों के आने की उम्मीद है। आइए हम आपको बताते हैं शिवसेना का इतिहास साथ ही शिवसेना के 50 साल के इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं। बालासाहेब ठाकरे ने 19 जून 1966 को शिवसेना की स्थांपना की थी। उन्होंने महाराष्ट्र के स्थानीय लोगों के अधिकारों के लिए लडऩे के लिए शिवसेना की स्थापना की थी। पार्टी बनाने के लिए उन्होंने भूमिपुत्र का नारा दिया था। शिवसेना के गठन के समय बालासाहेब ठाकरे ने नारा दिया था, ‘Óअंशी टके समाजकरण, वीस टके राजकरण।ÓÓ यानि 80 प्रतिशत समाज सेवा और 20 प्रतिशत राजनीति। 1970 के शुरुआती दिनों में पार्टी को काफी लोकप्रियता मिली। इस दौरान दूसरे राज्योंद विशेष रूप से दक्षिण भारतीय लोगों पर महाराषर्् म में काफी हमले हुए। 1970 के बाद शिवसेना का भूमिपुत्र का दांव कमजोर होने लगा। इस पर पार्टी ने हिंदुत्व के मुद्दे पर आगे बढऩा शुरू किया। पार्टी ने भाजपा के साथ 1989 में गठबंधन किया जो कि आज तक जारी है। हालांकि 2014 में विधानसभा में दोनों दल अलग हो गए थे। शिवसेना ने पहला चुनाव 1971 में लड़ा था लेकिन उसका एक भी उम्मीदवार नहीं जीता। 1989 के लोकसभा चुनाव में पहली बार शिवसेना का पहला सांसद चुना गया। महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव शिवसेना ने पहली बार 1990 में लड़ा जिसमें उसके 52 विधायक चुनकर आए। शिवसेना का मुख्य गढ़ मुंबई और कोंकण तटीय क्षेत्र है। हालांकि 2014 के चुनावों में उसे मुंबई में हार मिली। हालांकि उसने पहली बार महाराष्ट्र के अंदरूनी इलाकों में जगह बनाई। शिवसेना में अध्यक्ष के बजाय प्रमुख का पद होता है। बालासाहेब ठाकरे इस पद पर रहे। उनके निधन के बाद उद्धव ठाकरे शिवसेना के सबसे बड़े नेता हैं। हालांकि उन्हों ने शिवसेना प्रमुख का पद लेने से इनकार कर दिया। शिवसेना की युवा विंग भी है। इसे युवा सेना कहा जाता है। इसके मुखिया बाल ठाकरे के पोते और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे हैं। वहीं भारतीय विद्यार्थी सेना उसकी छात्र इकाई है। पार्टी के पास लोकसभा में 18 और राज्यय सभा में तीन सांसद है। शिवसेना के दो नेता मनोहर जोशी और नारायण राणे महाराष्ट्रा के मुख्यमंत्री रहे हैं। वहीं मनोहर जोशी, आनंदराव अदसूल और अनंत गीते, ये तीन नेता केंद्र में मंत्री रहे हैं।