एक दरगाह ऐसी जहां भूतों को दी जाती है फांसी

kalyar_sharifफीचर डेस्क। कहते हैं कि मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है वही होता है जो मंजूर-ए-खुदा होता है जी हां वैसा ही इबादत गुजार बन्दों के पर्दा कर जाने के बाद उनकी दरगाह पर लोग अपनी परेशानियों से निजात की आशा लेकर पहुंचते हैं और दुआ प्रार्थना करते हैं और उनकी उम्मीदों की झोली भरती भी है। इसी तरह रूड़की के कलियर शरीफ में लोगों की मुरादें पूरी होने के साथ ही यह ऐसी दरगाह जहां होती है जिन्न और भूत प्रेतों को सरेआम फांसी और एक फकीर जिसके इशारे पर नाचते हैं दुनिया भर के भूत प्रेत और जिन्नात आज तक पता नही कितने लोगो को मिला है आसमानी बलाओं से छुटकारा जिनकी दरगाह में नाचते हैं भूत प्रेत और एक गूलर के खाने से बे औलाद को मिल जाती है औलाद । जी हां कलियर शरीफ स्थित साबिर पिया साहब की दरगाह में देश ही नहीं विदेशों से भी बड़ी संख्या में जायरीन पहुंचते हैं। माना जाता है कि साबिर की दरगाह में जो भी मन्नत मुरादे लेकर पहुंचते हैं वे उन्हें खाली हाथ नहीं लौटाते लेकिन साबिर की दरगाह में भूत प्रेत और जिन्नात आकर दरगाह में पटकियां खाते हैं। आलम ये है कि हर रोज सैंकड़ों की संख्या में जिन्न, भूत,प्रेत के असर वाले लोग यहां पहुँचते है जिन्हें साबिर पहले तो सजा देते हैं और माफी के बाद ही भूतों को छुटकारा मिल पाता है बड़ा से बड़ा भूत साबिर की दरगाह में आकर मजबूर हो जाता है। माना जाता है कि दरगाह में लगे पेड़ पर अपनी परेशानी का पर्चा लिख के लगा दें तो साबिर पर्चे पर लिखी मुश्किलों का हल कर देते हैं। साबिर साहब का पूरा नाम हजरत अलाउददीन अली अहमद मखदूम साबिर है जिनके दरबार में पहुंचते ही बड़ी से बड़ी बीमारी और जिन्न,भूत प्रेत उनके दरबार में घुसने से पहले ही भाग जाते हैं,यह नजारा एक दिन का नही बल्कि यहां ऐसा हर रोज हजारों की संख्या में जायरीन कलियर पहुंचते हैं और अपनी परेशानियों से छुटकारा पाते हैं । इस जगह पर जो भूत प्रेत जिन्नात से बाधित होते हैं उन्हें लोग लेकर आते हैं लेकिन यहाँ कलियर शरीफ में भूत प्रेत या जिन्नात को एक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है सबसे पहले इस तरह की परेसानी में फंसे आदमी को हजरत इमाम साहब की दरगाह में जाना पड़ता है जहां उसको एक लिखित शिकायत का पर्चा देना होता है इसके बाद शुरू होता है आसमानी बलाओं का इलाज यहां से निकलने के बाद दूसरी दरगाह किलकलि साहिब की है वहां सलाम के बाद मरीज को दो नहरों के बीच बनी दरगाह जिसको नमक वाला पीर के नाम से भी पुकारा जाता है वहां जाना पड़ता है यहां प्रसाद के रूप में नमक झाड़ू और कोडिय़ां चढ़ाई जाती है जिनके बाद अगर किसी को कोई एलर्जी या चमड़ी का रोग हो तुरन्त आराम होता है । यहां से निकलने के बाद चौथी दरगाह है साबरी बाग में अब्दाल साहब की वहां सलाम के बाद शुरू होती है किसी भी ऊपरी या पराई आफत की पिटाई और एक खास चीज दुनिया में सिर्फ किलयर शरीफ ऐसी जगह है जन्हा जिन्नों को और भूतो को फांसी दी जाती है । और फांसी के बाद इस बीमारी का अंत यंही हो जाता है। साबिर पाक का 747 वां उर्स मुबारक 14 दिसम्बर 1 राबीउलव्वाल को मेंहदी डोरी के साथ उर्स का आगाज किया जायेगा 24 दिसम्बर 11 राबीउल्लववल को छोटी रौशनी 25 दिसम्बर 12 राबीउलव्वल को बड़ी रौशनी 26 दिसम्बर 13 राबीउलव्वाल को कुल शरीफ 27 दिसम्बर 14 राबीउलव्वल को गुस्ल शरीफ की रस्म अदा की जायेगी।