चुनाव अभियान: अखिलेश ने क्यों चुना सुलतानपुर

cm new1लखनऊ। वैसे तो अखिलेश को समाजवादी पार्टी युवा जोश का झंडा बरदार मानती है लेकिन अखिलेश सिर्फ जोश ही नहीं ज्योतिषीय गणना में भी काफी विश्वास रखते हैं.
गृह दशाओं और अंधविश्वास से जुड़ा है. यही नहीं उत्तर प्रदेश की सत्ता में दोबारा काबिज होने के लिए चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत भी अखिलेश गृह दशा देखकर ही करने जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में ये टोटका चिर परिचित है कि जो भी मुख्यमंत्री रहने के दौरान नोएडा गया, वह सत्ता में दोबारा नहीं लौटा. पिछले साढ़े चार साल से अखिलेश यादव ने भी इसी टोटके को सच साबित करते हुए नोएडा की तरफ रुख नहीं किया.
इससे जुड़ा एक वाकया सत्ता के गलियारे में आज भी याद किया जाता है. कहा जाता है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए अपने आधिकारिक आवास पांच, कालीदास मार्ग पहुंचे अखिलेश को आवास के मुख्य द्वार की बजाए बगल के गेट से प्रवेश कराया गया. अखिलेश ने ये कदम सिर्फ ज्योतिषियो के कहने पर ही उठाया.
अब बताया जा रहा है अखिलेश अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत भी ज्योतिषीय गणना के आधार पर करने जा रहे हैं. अखिलेश की पहली रैली 24 जनवरी को सुलतानपुर से शुरू होगी, यहां वह दो जगहों पर चुनावी सभाओं में शामिल होंगे. इसके बाद 25 जनवरी को लखीमपुर खीरी जाएंगे, जहां उनकी तीन रैलियां होनी हैं.
दरअसल सुलतानपुर लखनऊ से दक्षिण पूर्व में पड़ता है. 24 जनवरी यानी मंगलवार को अखिलेश के यहां जाने का कार्यक्रम है. इस दिन दिशाशूल का असर उन पर नहीं पड़ता. हमने इसका आधार उस कहावत से लिया है, जो दिशाशूल को लेकर ज्योतिषियों में खासी चर्चित है.
सोम शनीचर पूरब न चालू, मंगल बुध उतर दिसि कालू. रबी शुक्र जो पश्चिम जाय. हानि होय पथ सुख नहीं पाय. बीफै दक्खिन करे पयाना, फिर नहीं समझे ताको आना.
यानी सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा में नहीं जाना चाहिए, वहीं मंगलवार और बुधवार को उत्तर दिशा की तरफ जाना काल को आमंत्रित करने जैसा है. रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा की तरफ जाने से हानि होती है और दुख मिलता है. वहीं गुरुवार को दक्षिण दिशा की तरफ जाने से व्यक्ति को लौटने में दिक्कत आ सकती है.