जनसंख्या नियंत्रण कानून : समय की मांग

अश्विनी उपाध्याय। वर्तमान समय में सवा सौ करोड़ भारतीयों के पास आधार है, लगभग 20त्न अर्थात 25 करोड़ नागरिक (विशेष रूप से बच्चे) बिना आधार के हैं तथा लगभग पांच करोड़ बंगलादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से भारत में रहते हैं. इससे स्पष्ट है कि हमारे देश की जनसँख्या सवा सौ करोड़ नहीं बल्कि डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा है और हम चीन से बहुत आगे निकल चुके हैं. यदि संसाधनों की बात करें तो हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की लगभग 2त्न है, पीने योग्य पानी लगभग 4त्न है, और जनसँख्या दुनिया की 20त्न है. यदि चीन से तुलना करें तो हमारा क्षेत्रफल चीन का लगभग एक तिहाई है जबकि जनसँख्या वृद्धि की दर चीन की तीन गुना है.
जल जंगल जमीन की समस्या, रोटी कपड़ा मकान की समस्या, चोरी लूट झपटमारी की समस्या, ट्रैफिक जाम व पार्किग की समस्या, बलात्कार व व्याभिचार की समस्या, आवास व कृषि विकास की समस्या, दूध दही घी में मिलावट की समस्या, फल सब्जी में रसायन की समस्या, रोड एक्सीडेंट व रोड रेज की समस्या, बढ़ती हिंसा व आत्महत्या की समस्या, अलगाववाद व कट्टरवाद की समस्या, आतंकवाद व नक्सलवाद की समस्या, सडक़ रेल व जेल में भीड़ की समस्या, मुकदमों के बढ़ते अंबार की समस्या, अनाज की कमी व भुखमरी की समस्या, गरीबी बेरोजगारी व कुपोषण की समस्या, वायु जल मृदा व ध्वनि प्रदूषण की समस्या, कार्बन वृद्धि व ग्लोबल वार्मिग की समस्या, अर्थव्यवस्था के धीमी रफ्तार की समस्या व थाना तहसील हॉस्पिटल और स्कूल में भीड़ की समस्या का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है. चोर-लुटेरे, झपटमार, जहरखुरानी करने वालों, बलात्कारियों और भाड़े के हत्यारों पर सर्वे करने से पता चलता है कि 80त्न से अधिक अपराधी ऐसे हैं जिनके माँ-बाप ने हम दो- हमारे दो नियम का पालन नहीं किया. इन तथ्यों से स्पष्ट है कि भारत की 50त्न से अधिक समस्याओं का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट ही है.
अंतराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत की दयनीय स्थिति का मुख्य कारण भी जनसँख्या विस्फोट है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हम 103वें स्थान पर, साक्षरता दर में 168वें स्थान पर, वल्र्ड हैपिनेस इंडेक्स में 140वें स्थान पर, ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में 130वें स्थान पर, सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स में 53वें स्थान पर, यूथ डेवलपमेंट इंडेक्स में 134वें स्थान पर, होमलेस इंडेक्स में 8वें स्थान पर, लिंग असमानता इंडेक्स में 76वें स्थान पर, न्यूनतम वेतन में 64वें स्थान पर, रोजगार दर में 42वें स्थान पर, क्वालिटी ऑफ़ लाइफ इंडेक्स में 43वें स्थान पर, फाइनेंसियल डेवलपमेंट इंडेक्स में 51वें स्थान पर, करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में 78वें स्थान पर, रूल ऑफ़ लॉ इंडेक्स में 66वें स्थान पर, एनवायरमेंट परफॉरमेंस इंडेक्स में 177वें स्थान पर तथा जीडीपी पर कैपिटा में 139वें स्थान पर हैं लेकिन जमीन से पानी निकालने के मामले में पहले स्थान पर हैं जबकि हमारे पास पीने योग्य पानी मात्र 4त्न है.
1976 में संसद के दोनों सदनों में विस्तृत चर्चा और विचार विमर्श के बाद 42वां संविधान संशोधन विधेयक पास हुआ था और संविधान की सातवीं अनुसूची की तीसरी सूची (समवर्ती सूची) में जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन वाक्य जोड़ा गया. 42वें संविधान संशोधन द्वारा केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया गया लेकिन वोटबैंक राजनीति के कारण 43 साल बाद भी एक कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बना जबकि देश की 50त्न से अधिक समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है. (42वा संविधान संशोधन 3.1.1977 को लागू हुआ था)
प्रत्येक वर्ष 5 जून को हम विश्व पर्यावरण दिवस और 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाते हैं, पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए पिछले पांच वर्ष में विशेष प्रयास भी किया गया लेकिन आंकड़े बताते हैं कि वायु, जल, ध्वनि और मृदा प्रदूषण की समस्या कम नहीं हो रही है और इसका मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है. जनसँख्या विस्फोट के कारण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है इसलिए चीन की तर्ज पर एक कठोर और प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून के बिना स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत अभियान का सफल होना मुश्किल है.
संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्देशानुसार प्रत्येक वर्ष 25 नवंबर को हम महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाते हैं लेकिन महिलाओं पर हिंसा बढ़ती जा रही है और इसका मुख्य कारण भी जनसँख्या विस्फोट है. बेटी पैदा होने के बाद महिलाओं पर शारीरिक और मानसिक अत्याचार किया जाता है, जबकि बेटी पैदा होगी या बेटा, यह महिला नहीं बल्कि पुरुष पर निर्भर करता है. कुछ लोग 3-4 बेटियां पैदा होने के बाद पहली पत्नी को छोड़ देते हैं और बेटे की चाह में दूसरा विवाह कर लेते हैं. बेटियों को बराबरी का दर्जा मिले, बेटियों का स्वास्थ्य ठीक रहे, बेटियां सम्मान सहित जिंदगी जीयें तथा बेटियां खूब पढ़ें और आगे बढ़ें, इसके लिए चीन की तर्ज पर एक कठोर और प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना बहुत जरूरी है.
जनसँख्या नियंत्रण कानून के बिना ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान तो सफल हो सकता है लेकिन विवाह के बाद बेटियों पर होने वाले अत्याचार को नहीं रोका जा सकता है. 3-4 बेटी पैदा हो जाती है तो महिलाओं पर शारीरिक-मानसिक अत्याचार किया जाता है, जबकि बेटी पैदा होगी या बेटा, यह महिला नहीं बल्कि पुरुष पर निर्भर है. बहुत से लोग बेटे की चाह में बहुविवाह भी करते हैं, बेटा-बेटी में गैर-बराबरी बंद हो, उन्हें बराबर सम्मान मिले, बेटियां पढ़ें, बेटियां आगे बढ़ें और बेटियां सुरक्षित भी रहें, इसके लिए वर्तमान संसद सत्र में ही चीन की तर्ज पर एक कठोर और प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना चाहिए.
हजारो साल पहले भगवान राम ने ‘हम दो-हमारे दो’ नीति लागू किया था और आम जनता को संदेश देने के लिए लक्ष्मण, भरत और शत्रुघन सहित स्वयं ‘हम दो-हमारे दो’ नियम का पालन किया था, जबकि उस समय जनसँख्या की समस्या इतनी खतरनाक नहीं थी. सभी राजनीतिक दल स्वीकार करते हैं कि जनसँख्या विस्फोट भारत के लिए बम विस्फोट से भी अधिक खतरनाक है. इसलिए चीन की तर्ज पर एक प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून लागू किये बिना रामराज्य अर्थात स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत, साक्षर भारत, संपन्न भारत, समृद्ध भारत, सबल भारत, सशक्त भारत, सुरक्षित भारत, समावेशी भारत, स्वावलंबी भारत, स्वाभिमानी भारत, संवेदनशील भारत तथा भ्रष्टाचार और अपराध-मुक्त भारत का निर्माण मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही अटल जी द्वारा बनाये गए 11 सदस्यीय संविधान समीक्षा आयोग (वेंकटचलैया आयोग) ने 2 वर्ष तक अथक परिश्रम और विस्तृत विचार-विमर्श के बाद संविधान में आर्टिकल 47्र जोडऩे और जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था जिसे आजतक लागू नहीं किया गया. अब तक 125 बार संविधान संशोधन हो चुका है, 3 बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी बदला जा चुका है, सैकड़ों नए कानून बनाये गए लेकिन देश के लिए सबसे ज्यादा जरुरी जनसँख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया गया, जबकि ‘हम दो-हमारे दो’ कानून से भारत की 50त्न समस्याओं का समाधान हो जाएगा.
अटल जी द्वारा 20 फरवरी 2000 को बनाया गया संविधान समीक्षा आयोग आजाद भारत का सबसे प्रतिष्ठित आयोग है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वेंकटचलैया इसके अध्यक्ष तथा जस्टिस सरकारिया, जस्टिस जीवन रेड्डी और जस्टिस पुन्नैया इसके सदस्य थे. भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल और संविधान विशेषज्ञ केशव परासरन तथा सोली सोराब जी और लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप इसके सदस्य थे. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष संगमा जी इसके सदस्य थे. सांसद सुमित्रा जी भी इस आयोग की सदस्य थी. वरिष्ठ पत्रकार सीआर ईरानी और अमेरिका में भारत के राजदूत रहे वरिष्ट नौकरशाह आबिद हुसैन भी इस आयोग के सदस्य थे.
वेंकटचलैया आयोग ने 2 वर्ष तक कड़ी मेहनत और सभी सम्बंधित पक्षों से विस्तृत विचार-विमर्श के बाद 31 मार्च 2002 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी था. इसी आयोग की सिफारिस पर मनरेगा, राईट टू एजुकेशन, राईट टू इनफार्मेशन और राईट टू फूड जैसे महत्वपूर्ण कानून बनाये गए लेकिन जनसँख्या नियंत्रण कानून पर संसद में चर्चा भी नहीं हुयी. इस आयोग ने मौलिक कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए भी महत्वपूर्ण सुझाव दिया था जिसे आजतक लागू नहीं किया गया. वेंकटचलैया आयोग द्वारा चुनाव सुधार प्रशासनिक सुधार और न्यायिक सुधार के लिए दिए गए सुझाव भी आजतक लंबित हैं.
सभी राजनीतिक दलों के नेता सांसद और विधायक, बुद्धिजीवी, समाजशास्त्री, पर्यावारणविद, शिक्षाविद, न्यायविद, विचारक और पत्रकार इस बात से सहमत हैं कि देश की 50त्न से ज्यादा समस्याओं का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है. टैक्स देने वाले ‘हम दो-हमारे दो’ नियम का पालन करते हैं लेकिन मुफ्त में रोटी कपड़ा मकान लेने वाले जनसँख्या विस्फोट कर रहे हैं.
जब तक 2 करोड़ बेघरों को घर दिया जायेगा तब तक 10 करोड़ बेघर और पैदा हो जायेंगे इसलिए एक नया कानून ड्राफ्ट करने में समय खराब करने की बजाय चीन के जनसँख्या नियंत्रण कानून में ही आवश्यक संशोधन कर उसे संसद में पेश करना चाहिए. कानून मजबूत और प्रभावी होना चाहिये और जो व्यक्ति इस कानून का उल्लंघन करे उसका राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड, बैंक खाता, बिजली कनेक्शन और मोबाइल कनेक्शन बंद करना चाहिए. इसके साथ ही कानून तोडऩे वालों पर सरकारी नौकरी और चुनाव लडऩे तथा पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगाना चाहिए. ऐसे लोगों को सरकारी स्कूल हॉस्पिटल सहित अन्य सरकारी सुविधाओं से वंचित करना चाहिये और 10 साल के लिए जेल भेजना चाहिए.
युग दृष्टा अटल जी के अधूरे सपने को साकार करना ही उन्हें सबसे अच्छी श्रद्धांजलि होगी इसलिए उनके द्वारा बनाये गए वेंकटचलैया आयोग के सुझावों पर विस्तृत चर्चा करना चाहिए. एक प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून के बिना रामराज्य नामुमकिन है, इसलिए सरकार को आगामी सत्र में चीन की तर्ज पर एक मजबूत और प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना चाहिए. इग्यारह सदस्यीय वेंकटचलैया आयोग (4 जज, 3 संविधान विशेषज्ञ, 2 सांसद, 1 पत्रकार और 1 नौकरशाह) ने 2 साल विस्तृत विचार-विमर्श करने के बाद जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था इससे स्पष्ट है कि यह कानून किसी भी अंतराष्ट्रीय संधि के खिलाफ नहीं है.
यदि 2004 में भाजपा की सरकार बनती तो अटल जी द्वारा बनाये गए संविधान समीक्षा आयोग के सुझाव पर संसद में जरुर बहस होती और जनसँख्या नियंत्रण कानून भी बनाया जाता लेकिन भाजपा हार गयी और वोटबैंक राजनीति के कारण कांग्रेस ने वेंकटचलैया आयोग के सुझावों पर संसद में चर्चा करने की बजाय चुनिंदा लोकलुभावन सुझावों को ही लागू किया, इसलिए युग दृष्टा अटल जी और करोड़ों भारतीयों की भावनाओं का सम्मान करते हुए संविधान समीक्षा आयोग के सुझाव के अनुसार चीन की तर्ज पर जनसँख्या नियंत्रण कानून जरुर बनाना चाहिए.
चीन की तजऱ् पर एक कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने के साथ-साथ जनसंख्या विस्फोट के दुष्परिणामों को आम जनता को समझाना बहुत ज़रूरी है ।जनसंख्या विस्फोट के दुष्परिणामों को प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में डालना चाहिए। सभी विद्यालयों महाविद्यालयो और विश्वविद्यालयों में समय समय पर निबंध लेखन और वाद विवाद प्रतियोगिता आयोजित करना चाहिए। देश के सभी विद्यालयों में ‘छोटा परिवार सुखी परिवार’ का पोस्टर लगाना चाहिए। सडक़ और परिवहन मंत्रालय को प्रत्येक किलोमीटर पर छोटा परिवार सुखी परिवार का बोर्ड लगाना चाहिए। देश के सभी पब्लिक और प्राइवेट ट्रांस्पोर्ट में हम दो हमारे दो और छोटा परिवार सुखी परिवार लिखना अनिवार्य करना चाहिए। देश की समस्त रेलगाडिय़ों के प्रत्येक कोच के अंदर और बाहर हम दो हमारे दो और छोटा परिवार सुखी परिवार लिखना चाहिए। देश के प्रत्येक रेलवे स्टेशन पर अनाउंसमेंट के दौरान हम दो हमारे दो और छोटा परिवार सुखी परिवार के बारे में बात करना चाहिए।

प्रत्येक महीने के प्रथम रविवार को पोलियो दिवस के स्थान पर स्वाथ्य दिवस मनाना चाहिए और कंडोम तथा गर्भनिरोधक की दवाईयां मुफ्त में बाटना चाहिए। देश के सभी हॉस्पिटल और प्राथमिक चिकित्सालयों में छोटा परिवार सुखी परिवार का पोस्टर लगाना चाहिए और इलाज कराने आने वाले लोगों को जनसंख्या विस्फोट के दुष्परिणामों के बारे में बताना चाहिए। सभी थाना तहसील अदालतों में हम दो हमारे दो का पोस्टर लगाना चाहिए। सभी समाचार चैनलों को प्रत्येक घंटे मुख्य समाचार से पहले एक मिनट जनसंख्या विस्फोट के बारे में वीडियो दिखाना चाहिए। मंदिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारा से जनसंख्या नियंत्रण के लिए अपील करना अत्यधिक प्रभावी हो सकता है।
लेखक- बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील