जानिए कहां सीता को मानते हैं रावण की बेटी

फीचर डेस्क। भारत देश में जहां रावण को सीता का अपहरणकर्ता माना जात है वहीं इसी देश में सीता को रावण की बेटी के रूप में माना जाता है। ऐसा किसी पुस्तक में उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन लोगों में ऐसी कहानियां प्रचलित हैं। लाहुल के इतिहासकारों की माने तो लाहुली रामायण हालांकि लिखा नहीं गया है। लेकिन इसका कथा वाचन अवश्य होता रहा है। जिसमें सीता को रावण की बेटी बताया गया है। वयोवृद्ध इतिहासकार छेरिंग दोरजे कहते हैं कि लाहुली बोली में कोई रामायण नहीं लिखा गया है। इतिहासकार प्रेम का कहना है लाहुली रामायण हालांकि, लिखा नहीं गया है। लेकिन इसका कथा वाचन अवश्य होता रहा है, जिसमें सीता को रावण की बेटी बताया गया है। यहां दसवीं शताब्दी से स्थापित त्रिलोकीनाथ मंदिर के पुजारी बीर सिंह ठाकुर का कहना है यहां माता सीता को धरती पुत्री कहा जाता है। मान्यता ऐसी भी है कि त्रिलोकीनाथ मंदिर में भगवान बुद्ध की मूर्ति के ऊपर स्थापित मूर्ति को माता सीता का रूप भी माना जाता है, जबकि कुछ लोग इसे भगवान शिव का रूप मानते हैं। इस मंदिर में बौद्ध और हिंदू दोनों धर्म के लोग अपने रीति-रिवाज के हिसाब से पूजा करते हैं।
मान्यता है कि त्रिलोकीनाथ मंदिर 10वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह देश का ऐसा इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां पर हिंदू और बौद्ध समुदाय के लोग एक साथ अपने रिवाज से पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। मंदिर में स्थापित मूर्ति को हिंदू शिव के रूप में पूजते हैं, जबकि कुछ लोग इसे माता का रूप भी मानते हैं। वहीं बौद्ध धर्म के लोग इसे भगवान बुद्ध अवलोकतेश्वर के रूप में मानते हैं। जानकारों का मानना है भगवान त्रिलोकीनाथ मंदिर का इतिहास अपने आप में कई रहस्यों को छुपाए है। त्रिलोकीनाथ मंदिर में एक ही छत के नीचे शिव और बुद्ध के लिए दीये जलते हैं। मंदिर के मुख्य द्वार पर बने दो खंभों को पाप-पुण्य का तराजू माना जाता है। मान्यता है कि खंभों के बीच से भीमकाय शरीर वाला वही शख्स गुजर पाता है जो पाप से मुक्त हो। जबकि अधर्मी भले ही दुबले शरीर वाला क्यों न हो, खंभों के बीच फंस जाता है।