डाकू ददुआ की हनुमान भक्त के रूप में मूर्ति स्थापित

daduaलखनऊ फरवरी। उप्र व मप्र के बुंदेलखंड के आतंक रहे दस्यु ददुआ की मूर्ति रविवार को हनुमान जी के मंदिर में भक्त के रूप में स्थापित कर दी गई जिसका निर्माण उसने कराया था। इस दौरान प्रशासन और ददुआ के परिवार के बीच खींचतान चलती रही। आखिर कार प्रदेश के सत्तारूढ़ दल के बड़े नेताओं के ईशारे पर प्रशासन ने दुदआ की मूर्ति स्थापित करने में बाधा नही डाली।
अब हनुमान भक्त ददुआ अपनी पत्नी के साथ उसी मंदिर में मूर्ति के रूप में मौजूद है जिसका निर्माण उसने जंगलों में भटकते हुए कराया था। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि ददुआ ने मंदिर का निर्माण अपने संकल्प को पूरा करने के लिए 15 साल से भी पहले कराया था। एक बार वह इलाहाबाद, बांदा और फतेहपुर पुलिस के संयुक्त अभियान में चारों ओर से घिर गया था। उसे लगा की पुलिस मुठभेड़ में उसकी मौत हो जाएगी। ददुआ ने हनुमान जी से प्राण रक्षा करने की प्रार्थना की, बचने पर मंदिर बनाने का संकल्प लिया था। मंदिर 2002 में चर्चा में आया था। जब ददुआ ने बड़ा आयोजन किया था।
2007 में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए ददुआ के बनाये मंदिर में पखवारे भर से चल रहे कार्यक्रमों कासमापन रविवार को विशाल भंडारे के साथ हुआ। इसी के साथ ददुआ और उसकी पत्नी की मूर्ति पर रखा पर्दा हटा माल्यार्पण कर मूर्तियों को मंदिर हाल में स्थापित किये जाने का एलान कर दिया गया। कार्यक्रम में प्रदेश के पीडब्ल्यूडी व सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव के आने का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। चर्चा है कि शिवपाल का कार्यक्रम प्रशासन को संदेश देने के लिए भेजा गया था। चित्रकूट के कुशमही के जंगलों में पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने से पहले ददुआ छिपकर इस मंदिर में अक्सर आया करता था। ददुआ के भाई बालकुमार का कहना था कि ददुआ ने सामंतशाही के खिलाफ लड़ाई लड़ी और गरीबों की मदद की थी।
जीवित रहते ददुआ की शक्ल कम ही लोगों ने देखी थी। पुलिस के लिए हमेशा ददुआ की पहचान चुनौती रही है। अब ददुआ की मौत के 8 साल बोद क्षेत्र के लोगों में ददुआ को देखने की उत्सुकता है। मूर्तियों को देखने के लिए लोग उमड़ रहें है। ददुआ पर उप्र सरकार ने 5 लाख का ईनाम रखा था। उस पर करीब 150 मुकदमें थे। दुदआ का बेटा व भतीजा उप्र की सत्तारूढ़ सपा के विधायक हैं। जबकि भाई बालकुमार पूर्व सांसद रहे है।
—–