तुच्छ जातिवाद के कारण सपा 2017 में 60 सीट भी नहीं जीतेगी

sp partyलखनऊ  फरवरी,।  राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चैा. लौटन राम निषाद ने कहा कि अतिपिछड़ों, अकलियतों को सामाजिक-राजनीतिक अन्याय का समाजवादी पार्टी की सरकार शिकार बना रही है। उन्होंने कहा कि इस सरकार में सिर्फ एक जाति विशेष व पूंजीपतियों, बाहुबलियों व माफियाओं का राज कायम है। अतिपिछड़ा वर्ग हर स्तर पर वंचित व उपेक्षित किया जा रहा है।निषाद ने कहा कि अतिपिछड़े सपा की सरकार बनवा सकते हैं तो हराकर सत्ता से बाहर भी कर सकते है। 2017 में तुच्छ जातिवाद के कारण सपा 50-60 सीट भी नहीं जीत पायेगी। उत्तर प्रदेश में यादव-8.6 प्रतिशत, जाटव-11.46 प्रतिशत, निषादवंशीय-13.85 प्रतिशत, मध्यवर्ती पिछड़ी जातियां-6.62, अति दलित-9.11, जनजातियां-0.57 प्रतिशत, मुसलमान-16.86 प्रतिशत तथा अन्य अत्यन्त पिछड़ी जातियां 23.09 प्रतिशत हैं। उत्तर प्रदेश में तीन बार से 3-4 प्रतिशत मतों से अन्तर से सरकार बनती बिगड़ती रही है, ऐसे में अतिपिछड़ी जातियों की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि सपा निषाद, लोधी, किसान, कश्यप, बिन्द, मल्लाह, केवट, रायकवार, धीवर, काछी, कोयरी, मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, नाई, विश्वकर्मा, कुम्हार, तेली, बारी, भुर्जी, पाल, बघेल, बरई आदि अतिपिछड़ी जातियों को प्रायोजित तरीके से पीछे करने का काम कर रही है।
वर्तमान सरकार द्वारा जैसा अतिपिछड़ों का हक मारने का काम विगत किसी भी सरकार ने नहीं किया। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्ग का वर्गीय विभाजन किये बिना अतिपिछड़ों, अत्यन्त पिछड़ों, विमुक्त जातियों व पसमान्दा समाज को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पायेगा।
श्री निषाद ने कहा कि इन्दिरा साहनी बनाम भारत सरकार के मामले में मा0 उच्चतम न्यायालय ने भी पिछड़े वर्ग के वर्गीय विभाजन को उचित करार दिया था। महाराज, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, बिहार, हरियाणा आदि राज्यों में पिछड़ी जातियों का दो या दो से अधिक श्रेणियों में वर्गीय विभाजन कर अलग-अलग आरक्षण की व्यवस्था की गयी है। उत्तर प्रदेश में पिछड़ों का वर्गीय विभाजन न होने के कारण ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दो तीन जातियां ही उठा रही है तथा श्रेणी अन्य जातियां सामाजिक अन्याय का शिकार हो रही है। 3 अक्टूबर, 2013 को उच्च न्यायालय इलाहाबाद खण्ड पीठ ने अपने अन्तरिम निर्णय में समुचित प्रतिनिधित्व पा चुकी जातियों के अलावा आरक्षण के लाभ से वंचित जातियों को विशेष आरक्षण दिये जाने का निर्णय दिया था, जिसके खिलाफ सपा सरकार ने एसएलपी दायकर कर स्थगित करा दिया। उन्होंने कर्पूरी ठाकुर फार्मूला या एलआर नायक की सिफारिश के अनुसार पिछड़ों के विभाजन की मांग किया है।