तेल का खेल: आईओसी को हजारों करोड़ का नुकसान

नई दिल्ली। दुनिया भर की अर्थव्यवस्था के कोरोनावायरस की चपेट में आने की वजह से क्रूड आयल का दाम क्या आधा हुआ, इंडियन आयल को हजारों करोड़ रुपये का घाटा हो गया। दरअसल, कंपनी के पास हर समय 45 दिन के उपयोग के लायक पेट्रोलियम पदार्थों की इंवेंट्री होती है। बाजार में जैसे ही क्रूड आयल का दाम घटा तो पेट्रोलियम पदार्थों का दाम उसी हिसाब से घटाना पड़ा। लेकिन, उसके पास महंगे दाम पर खरीदे गए कच्चे तेल का जखीरा पड़ा था। इस वजह से कंपनी को पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में 14,692 करोड़ रुपये का भारी इंवेंट्री लॉस हो गया।
यूं तो चीन में नवंबर में ही कोविड-19 के ढेरों मामले सामने आने लगे थे। पर उस समय अनुमान नहीं लगाया गया था कि स्थिति इतनी बिगड़ेगी। इसलिए बीते नवंबर में जहां डब्ल्यूटीआई क्रूड 64 डॉलर प्रति बैरल के औसत कीमत पर बिक रही थी वह दिसंबर में बढ़ कर 67 डॉलर तक पहुंच गई। दिसंबर तक कोविड-19 का फैलाव दुनिया के कई देशों तक हो गया तो कच्चे तेल का दाम भी घटना शुरू हुआ। इस साल जनवरी में इसकी कीमत 63 डॉलर हो गई तो फरवरी में 55 डॉलर। इस साल मार्च में तो यह 32 डॉलर जबकि अप्रैल में 18 डॉलर प्रति बैरल तक घट गई।
देश में पेट्रोलियम प्रोडक्ट की मार्केटिंग करने वाली सबसे बड़ी कंपनी इंडियन आयल कारपोरेशन के अध्यक्ष संजीव सिंह के मुताबिक कंपनी नियमित रूप से कच्चा तेल खरीदती रही है। उसे पानी के जहाज में भर कर विदेशों से भारतीय बंदरगाहों तक लाया जाता है। बंदरगाहों से यहां विभिन्न रिफाइनरियों तक कच्चे तेल को या तो पाइपलाइन से या फिर टैंक वैगन के जरिये पहुंचाया जाता है। रिफाइनरियों में बनाया गया पेट्रोल, डीजल, एटीएफ, एलपीजी, केरोसीन आदि जैसे पेट्रोलियम प्रोडक्ट भी पाइपलाइन, टैंक वैगन, ट्रक आदि के जरिये डिपो और रिटेल चेन तक पहुंचाये जाते हैं। इसमें जो कूड या प्रोडक्ट रहते हैं, उसे ही तकनीकी भाषा में इंवेंट्री कहा जाता है। संजीव सिंह का कहना है कि उनके पास हर समय करीब 45 दिन की इंवेंट्री होती है।