दलितों के साथ अतिपिछड़ों को सहेजने में जुटी बीएसपी

bspलखनऊ (आरएनएस)। अगले विधान सभा चुनाव की तैयारी में जुटी बीएसपी की दलित जनाधार के साथ अति पिछड़ा वोट बैंक पर खास नजर है। पार्टी अभी से इस अभियान में जुट गई है कि वह अति पिछड़ों को बता सके कि उनकी हालत भी दलितों जैसी ही है। उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से उनमें पैठ बनाएगी। इसके लिए दलित-अति पिछड़ा सम्मेलन के साथ ही इस वर्ग के नेताओं को आगे करने और उनकी समस्याओं को जोर-शोर से उठाने की तैयारी भी पार्टी कर रही है।
यूपी में 21 फीसदी दलित, 17 फीसदी अति पिछड़े
यूपी में करीब 21 प्रतिशत दलित हैं। करीब 17 अति पिछड़ी जातियां हैं और आबादी में भी वह 17 प्रतिशत ही हैं। करीब 45 विधान सभा क्षेत्रों में इनकी आबादी 1.5 लाख से 4 लाख तक है। सामान्य तौर पर दलित ही बीएसपी का आधार वोट बैंक है। वहीं पिछड़ा वर्ग सपा का वोट बैंक माना जाता है। पिछले लोक सभा चुनाव में बीएसपी को एक भी सीट नहीं मिली थी। उसे 20 प्रतिशत से भी कम वोट हासिल हुए थे। माना जा रहा है कि हिंदुत्व की लहर में कुछ दलित, अति पिछड़े और पिछड़ा वर्ग के वोटर भी बीजेपी के साथ चले गए।
हिंदुत्व पर हमला
अब बीएसपी की कोशिश है कि अपने दलित वोट बैंक को सहेजा जाए। साथ ही हिंदुत्व के नाम पर अति पिछड़े भी बीजेपी के साथ न जाएं और पिछड़ों के नाम पर सपा में भी न जाएं। अपने दलित जनाधार के साथ कुछ अति पिछड़ों और कुछ मुसलमानों को अपनी ओर कर लिया तो उसे कामयाबी मिल सकती है। पिछले दिनों मीटिंग में मायावती के साथ हुई विधायकों और जिला को-ऑर्डिनेटरों की बैठक में भी इस पर गंभीर मंथन हुआ था।  मायावती लगातार भाषणों में भी हिंदुत्व के नाम पर आरएसएस पर हमला करती हैं। साथ ही अति पिछड़ों पर भी दलितों के साथ बराबर फोकस करती हैं और सचेत हैं कि हिंदू वर्ण व्यवस्था में उन्हें गुलाम बनाया गया है। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को इस बारे में निर्देश दिए गए हैं कि पहले वे गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करें। सपा और बीजेपी की नीतियों को उजागर करने के साथ ही दलितों और अति पिछड़ों को खतरों से आगाह करें। उसके बाद 2017 के चुनाव से कुछ महीने पहले दलितों और अति पिछड़ा सम्मेलन करने की भी योजना है।
विधानसभा में नेता विपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि यूपी में एसपी और केंद्र में बीजेपी के खिलाफ जनता में आक्रोश है। ऐसे में हम 2017 में एक विकल्प के तौर पर जनता के बीच जाएंगे। इन दोनों पार्टियों के असली चेहरे को और उजागर करेंगे। हम सर्वजन समाज की बात करते हैं। निश्चित तौर पर उसमें अति पिछड़ा वर्ग की अपनी समस्याएं हैं, उसे उसके हितों के बारे में हमें सोचना ही होगा।