दिल्ली में रहना मानो किसी गैस चैंबर में रहने के सामान: हाईकोर्ट

delhihc high court

नई दिल्ली। वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका पर सुनवाई के महीनों के बाद भी वायु प्रदूषण को घटाने के लिए क्या कदम उठाए गए, इस पर आज तक कोई रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल नहीं हुई।
कोर्ट ने कहा कि यदि सभी अधिकारी व एजेंसियां नियमों के अनुसार कार्य कर रही हैं तो उच्च वायु प्रदूषण की स्थिति इस स्तर तक कैसे पहुंच गई। इससे पहले 4 दिसंबर को राजधानी में तय मानकों से ऊपर जा चुके वायु प्रदूषण पर हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति बीडी अहमद व संजीव सचदेव की पीठ ने कहा कि दिल्ली में रहना मानो किसी गैस चैंबर में रहने के सामान है। पीठ ने केंद्र व दिल्ली सरकार को वायु प्रदूषण को कम करने के लिए विस्तृत कार्ययोजना पेश करने का निर्देश दिया है। पीठ ने कहा कि जो रिपोर्ट अभी तक दोनों ने प्रस्तुत की है वह विस्तृत नहीं है। उसमें योजनाओं की समयसीमा तय नहीं है। कई पहलुओं के बारे में नहीं बताया गया है।
यहां तक की उसमें यह भी नहीं बताया गया है कि किस सिविक एजेंसी की इस समस्या पर क्या जिम्मेदारी है। अदालत ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के दो प्रमुख कारण हैं। एक तो निर्माण कार्य के दौरान मलबा, धूल और दूसरा वाहनों से होने वाला प्रदूषण। अदालत ने केंद्र व दिल्ली सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया कि मकान बनाते हुए पर्दा लगाने, निर्माण सामग्री पर बार-बार पानी डालने, सूखे पत्ते व कूड़ा न जलाने आदि के बारे में तय नियमों का पालन करना सुनिश्चित करें। इन नियमों को तोडऩे वालों की फोटो, वीडियो बनाई जाए। लोगों को जागरूक करने के लिए टीवी व समाचार पत्रों में विज्ञापन दिए जाएं।