देश की जीडीपी 3.5 फीसद रहने का अनुमान

नयी दिल्ली। देश का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसका कारण नीति निर्माताओं द्वारा राजकोषीय मजबूती की गति को कम कर आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ाना है।
फिच समूह की इकाई बीएमआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार राजकोषीय घाटे में वृद्धि की गुंजाइश है क्योंकि सरकार का जोर 7.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि के लक्ष्य को हासिल करने पर है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इसीलिए वित्त वर्ष 2018-19 के लिये राजकोषीय घाटे के अनुमान को संशोधित कर जीडीपी का 3.5 प्रतिशत कर दिया जो पहले 3.3 प्रतिशत था।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘एक फरवरी को पेश भारत सरकार के 2018-19 के बजट में वृद्धि और रोजगार सृजन पर जोर दिया गया है और यह राजकोषीय मजबूती की धीमी गति की कीमत पर है। वास्तव में नीति निर्माता ने 2025 तक 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा है।’’ सरकार ने 2018-19 के लिये राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत रहने का लक्ष्य रखा है जबकि चालू वित्त वर्ष के लिये संशोधित अनुमान 3.5 प्रतिशत रखा गया है। यह बताता है कि सरकार ने राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन मसौदे के तहत की गयी सिफारिश के विपरीत राजकोषीय सुदृढीकरण की गति थोड़ी धीमी होने दी है।