नैतिकता का पाठ पढ़ा रही गाजियाबाद की मस्जिद

श्यामल मुखर्जी/दिनेश शर्मा,गाजियाबाद। गाजियाबाद की शिया मस्जिद पर मानवता के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी,देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु, महान साहित्यकार चाल्र्स डिकेंस और सरोजिनी नायडू जैसे महापुरुषों की तस्वीरें लगी हैं । इन तस्वीरों के साथ पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन के बारे में उनके विचार भी लिखे गए हैं।
मस्जिद के इमाम मौलाना सैयद तफाकुर अली जैदी का दावा है कि यह देश की पहली ऐसी मस्जिद है जहां महापुरुषों की तस्वीर के साथ हजरत इमाम हुसैन के बारे में उनके विचारों को प्रस्तुत किया गया है । मूल रूप से बरेली के सैथल कस्बा निवासी मौलाना तफाकुर अली 6 साल से यहां इमाम हैं । 3 माह पहले ही उन्होंने मस्जिद की कमेटी को उन महापुरुषों की तस्वीर लगाने का सुझाव दिया जिन्होंने इमाम हुसैन की शहादत पर श्रेष्ठतम विचार रखे थे । कमेटी ने 4 महापुरुषों का चयन किया ।
महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरु,चाल्र्स डिकेंस और सरोजिनी नायडू की तस्वीरें
इनकी तस्वीरों के साथ इमाम हुसैन के संबंध में उनके विचारों को भी दर्शाया गया है। सुन्नी समुदाय में तस्वीर लगाना गलत माना जाता है । शिया समुदाय में भी नमाजी के सामने तस्वीर लगाने से परहेज करते हैं क्योंकि यहां महापुरुषों की तस्वीर के साथ अमन व भाईचारे का संदेश दिया गया है लिहाजा किसी को हर्ज नहीं है।
इमाम तफाकुर अली कहते हैं कि मुल्क से मोहब्बत ईमान का हिस्सा है। यहां बच्चों को इस्लाम की तालीम के साथ मुल्क से मोहब्बत और वफादारी की तालीम दी जाती है तभी तो मोहर्रम के जुलूस में भी कई वर्षों से राष्ट्र ध्वज लहराते हैं । मस्जिद में लगी इन तस्वीरों के साथ दिए गए संदेश भी उसी अमन और मोहब्बत की तालीम का हिस्सा है ।
तस्वीरों के साथ लिखे संदेश जो समरसता दिखाते हैं ।
कर्बला की लड़ाई से जो मैंने समझा है उसे बता रहा हूं । हमें हुसैन के बताए रास्ते पर चलना है ।
—- मोहनदास करमचंद गांधी—-
1300 साल पहले इमाम हुसैन ने दुनिया को जीने का जो तरीका बताया वह सर्वोत्तम है । वह सिर्फ मुस्लिमों के लिए नहीं है । वह धरती के हर इंसान के लिए है ।
—-सरोजिनी नायडू—-
हुसैन दुनियावी हसरतों के लिए कर्बला की जंग में शामिल हुए तो मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि वह अपने साथ बहन,पत्नी और परिवार को क्यों ले गए जाहिर है उन्होंने इस्लाम के लिए शहादत दी ।
—-चाल्र्स डिकेंस—-
इमाम हुसैन की शहादत पूरी इंसानियत के लिए है ।
—-पंडित जवाहरलाल नेहरू—-
कौन थे हजरत इमाम हुसैन ?
इस्लामी कैलेंडर के अनुसार पहला महीना मोहर्रम का होता है । हर महीने की 10 तारीख को रोज आशूरा कहते हैं। इस दिन पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन को उनके 71 साथियों के साथ इराक के कर्बला में अत्याचारी शासक यजीद ने शहीद कर दिया था।