पंचायतीराज कर्मियों के धरने में फंसा पूरा शहर: यातायात ध्वस्त

TRAFFICलखनऊ। ग्राम्य विकास विभाग और पंचायतीराज विभाग में टकराव के हालात बने हैं। नियमावली में बदलाव कर ग्राम पंचायत अधिकारियों को बीडीओ के अधीन करने के विरोध में पंचायती राज विभाग के अधिकारी व कर्मचारी धरना देंगे और मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने के लिए हजारों की संख्या में पंचायत राज कर्मी लखनऊ पहुंच चुके हैं। शहर में चारो ओर भीड़ ही भीड़ नजर आ रही है। जिससे शहर का टै्रफिक पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है।
पंचायतीराज विभाग के संगठनों का संयुक्त मंच पंचायत राज सेवा परिषद के अध्यक्ष एसएन सिंह ने गुरुवार को पत्रकार वार्ता में ग्राम्य विकास विभाग के दबदबे का विरोध किया। कहा कि ऐसा करने से पंचायतीराज व्यवस्था की मूल अवधारणा ही बाधित होगी। ग्राम्य विकास विभाग नियंत्रक बन जाएगा तो क्षेत्र पंचायत स्तर पर समीक्षा विधिवत न हो सकेंगी। उन्होंने बताया कि दोनों ही विभाग अपनी योजनाओं के लिए अलग-अलग उत्तरदायी हैं। उन्होंने वर्ष 2003 का हवाला देते हुए बताया कि गांवों में नाली खडंज़ा निर्माण करने की योजना पंचायतीराज विभाग की थी। समीक्षा में 38 जिला पंचायतीराज अधिकारियों को निलंबित किया गया था और तब ग्राम्य विकास विभाग का कोई व्यक्ति आगे न आया।
कहा कि पंचायती राज विभाग द्वारा पदोन्नति एवं नियुक्तियों में भेदभाव का प्रत्येक स्तर पर विरोध कर सरकार को सचेत किया जाएगा। इसके अलावा सफाईकर्मियों को पदोन्नत कर उनके साथ न्याय करने व ग्राम विकास अधिकारी को अपने मूल विभाग में भेजने की मांग करेंगे। उन्होंने शुक्रवार को लक्ष्मण मेला मैदान में प्रदेशस्तरीय रैली में एक लाख से अधिक भीड़ के जुटने का दावा किया। प्रांतीय मंत्री पूर्णेन्द्र दीक्षित, सुधन चंदोला व गिरीश रज्जक का कहना था कि ग्राम्य विकास विभाग और पंचायतीराज विभाग कृषि उत्पादन आयुक्त के अधीन रहते हैं और दोनों विभाग एक दूसरे के साथ मिल कर समन्वय कार्य करते हैं। एक विभाग दूसरे के अधीन होगा तो टकराव बढ़ेगा और विकास कार्य बाधित होंगे।