प्रियंका बोलीं: खौलने लगता है खून

नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नेशनल हेराल्ड के स्मारक संस्करण को लॉन्च किया। इस कार्यक्रम में प्रियंका गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित कई विपक्षी दलों के नेता भी मौजूद रहे। कार्यक्रम के दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा की पीट-पीटकर हत्या की घटनाओं से उन्हें बेहद गुस्सा आता है और उनका खून खौलने लगता है। नेशनल हेराल्ड द्वारा स्मारक प्रकाशन जारी किए जाने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम से इतर प्रियंका से पूछा गया था कि अतिसर्तकता के नाम पर पीट-पीटकर हत्या जैसी घटनाओं को लेकर क्या उनके भी विचार अपनी मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के समान ही हैं। जिसके जवाब में प्रियंका गांधी ने ये बातें कहीं।
प्रियंका ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि मेरे विचार भी पूरी तरह से वही हैंष इनसे मुझे बेहद गुस्सा आता है, जब मैं ऐसी चीजें टीवी या इंटरनेट पर देखती हूं तो मेरा खून खौलने लगता है। मुझे बहुत ज्यादा गुस्सा आता है। मुझे लगता है कि इससे सही सोच वाले हर एक व्यक्ति का खून खौलना चाहिए। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अनियंत्रित भीड़ के द्वारा खुलेआम की जा रही हत्याओं पर बेहद गंभीर चिंता जाहिर की। राष्ट्रपति ने बेकाबू भीड़ की लगातार बढ़ती ऐसी हरकतों की ओर सीधे इशारा करते यह सवाल उठाया है कि क्या हमारी व्यवस्था के बुनियादी वसूलों के प्रति हम सजग हैं? प्रणब ने कहा कि अगर हम ऐसी घटनाओं पर सजग नहीं होंगे तो हमारी अगली पीढ़ी हमसे यह हिसाब मांगेगी कि हमने क्या किया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की यह टिप्पणी कथित गोमांस विवाद को लेकर ट्रेन में फरीदाबाद के एक युवक की भीड़ के हत्या करने के ताजा प्रकरण के संदर्भ से जोड़ कर देखी जा रही है। राष्ट्रपति ने जवाहर लाल नेहरू द्वारा स्थापित कांग्रेस के अखबार नेशनल हेराल्ड के आजादी के 70 साल पर प्रकाशित विशेष संस्करण की लांचिंग के मौके पर यह बात कही। प्रणब ने कहा कि आए दिन समाचार पत्रों में बेकाबू भीड़ के हत्या करने की घटनाएं सामने आ रही हैं। ऐसे में यह सवाल उठाना लाजिमी है कि क्या हम इतने सजग हैं कि हमारे संविधान के बुनियादी उसूल कायम रहे। राष्ट्रपति ने देश में सभी धर्मो और संप्रदायों के साथ क्षेत्रीय और भाषायी विविधता के बावजूद लोगों के एक राष्ट्र के रूप में सहज जीवन को संविधान की अमूल्य देन करार दिया। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान केवल शासन का विधान नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक समरसता को सुनिश्चित करने वाला मैग्नाकार्टा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सोनिया ने अध्यक्षीय संबोधन के दौरान कहा कि देश में लगातार बढ़ रही असहिष्णुता और दिखावे के खिलाफ खड़ा होने की जरूरत है। भाजपा और संघ का नाम लिए बिना सोनिया ने कहा कि जिनका आजादी के इतिहास से कोई सरोकार नहीं रहा, वे हमारी आजादी के महापुरुषों की विरासत को मिटाने या घटाने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही जो उनके विचारों से सहमत नहीं है उनको दबाव या दूसरे हथकंडों के जरिए चुप किया जा रहा है। सोनिया ने कहा कि हम क्या खायें और क्या पीएं, किससे मिले-जुलें यह कोई और तय करे, ऐसी व्यवस्था बनाने की कोशिश हो रही है। ऐसे में देश एक बार फिर दोराहे पर है। अगर अब हम नहीं इसके खिलाफ बोलेंगे तो हमारी चुप्पी को मूक सहमति मान ली जाएगी।