फार्चूनर की कीमत पर यूपी में बिक रहें है वोट

fortuner carलखनऊ। उप्र के जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के लिए मुसीबत बन गए है। पार्टी को अपने करीब एक दर्जन से अधिक वरिष्ठ पदाधिकारियों व विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी है। जबकि अध्यक्ष पद के मतदाता सदस्यों की मौज है। चुनाव में बेशुमार कालेधन का इस्तेमाल हो रहा है। एक वोट की कीमत 35 से 50 लाख तक लग गई है। ज्यादातर जिलों में सदस्य वोट के बदले 25 लाख की कीमत की फार्चूनर गाड़ी चाहते है। मंगलवार को पंचायत चुनाव के निर्वाचन आयुक्त अनिल अग्रवाल ने जिलों के डीएम से वीडियों काफ्रेंसिंग में कहा है कि जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव निष्पक्ष होना चाहिए। 30 जिलों के डीएम व एसपी के साथ उन्होने बातचीत की है। उन्होने निर्देश दिये है कि किसी भी स्थिति में प्रत्याशी, वोटर के जीवन की रक्षा सबसे अहम है। धनबल, बाहुबल की शिकायत पर कार्रवाई जरूर की जाए। वोटर, प्रत्याशी दोनों की सुरक्षा की जाए, चुनाव में व्यक्तिगत सुरक्षा दी जाए, अगर कोई मांगता है तो सुरक्षा दी जाए।
पंचायत चुनाव के जानकारों के मुताबिक चुनाव में करोड़ों का खर्च निवेश की तरह है। पंचायतों के बजट में अध्यक्ष दस प्रतिशत तक कमीशन से लागत से कई गुना कमायी करता है। जिले में लालबत्ती की गाड़ी वाले इस पद के साथ प्रतिष्ठा भी जुड़ी है। चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार हर हथकंडे अजमा रहीं है, तो पार्टियां भी पीछे नही है। पंचायत चुनाव में ठीक-ठाक प्रदर्शन का दावा करने वाली बसपा अध्यक्ष पद के मुकाबले में फिसड्डी नजर आ रही है। कांग्रेस के प्रवक्ता वीरेंद्र मदान ने कहा कि पंचायत चुनाव सत्ता के दबाव व पैसे से प्रभावित होता है। जो पैसा खर्च करता है या तो वो बहुबली होता है या उस पर सत्ता का संरक्षण तभी उसे पैसे की कीमत में वोट मिल पाते है।