बस्तर में भी हो रही है रूद्राक्ष की खेती

rudrak treeजगदलपुर (आरएनएस)। रूद्राक्ष का फल अब अकेले नेपाल तक ही सीमित नहीं है। बस्तर की जमीन और यहां की आबोहवा भी रूद्राक्ष की पैदावार के लिए अनुकूल है। बस्तर और कोण्डागांव जिले में तो कई लोगों ने अपने घरों में शौकि या तैर पर भी रूद्राक्ष के पौधे लगाये थे जो अब पेड़ की शक्ल लेने लगे हैं। रूद्राक्ष के इन पेड़ों पर बकायदा फल भी लग रहे है। कोण्डागांव जिले के फरसगांव में जिला पंचायत उपाध्यक्ष रवि घोष रायपुर से शौकिया तौर पर रूद्राक्ष का पौधा खरीद कर लाये थे और घर के आंगन में लगा दिया था। इस पौधे में प्रतिवर्ष 500-700 रूद्राक्ष के फल लग रहे हैं। जिसे रवि घोष लोगों को नि:शुल्क बांट रहे हैं। पूजा अर्चना में भी इस फल का विशेष महत्व है । मंत्र जाप करने के साथ ही इसे गले में धारण किया जाता है। रवि के अनुसार वे चाहते है कि योजनाबद्ध तरीके से इसकी पैदावार ली जाये। इसके लिए वे लोगों को प्रोत्साहित भी कर रहे है। इसके बड़े पैमाने के उत्पादन से ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। ग्रामीण रूद्राक्ष को व्यवसायिक रूप में उपयोग कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं। रूद्राक्ष को देखकर अब वन अमला भी इसे लगाने की तैयारी में है।
डीएफओएस जगदीशन ने कहा कि अब प्रायोगिक तौर पर इसे लगाने का प्रयास किया जाऐगा। पहले चरण में इसे अन्य औषधीय पौधों के साथ लगाया जाएगा। सफल होने के बाद इसे बड़े पैमाने पर जंगल में रोपित किया जाएगा। अभी कुम्हड़ाकोट नर्सरी में रूद्राक्ष के दो पेड़ है। जिनका व्यवसायिक तौर पर उत्पादन के कोई प्रयास नहीं किये जा सके है। इसके अलावा धरमपुरा स्थित शिक्षक किरण मुखर्जी के आवास पर भी रूद्राक्ष का पेड़ लगा हुआ है जिसमें काफी संख्या में गुच्छों में रूद्राक्ष के फल लगे हुए है जिसे देखकर अब इसके उत्पादन की काफी संभावना लग हुई है।