भागवत उवाच: आक्रमण झेलकर भी हिन्दू समाज हिन्दू बनकर जी रहा है

 

मथुरा। भारत पूर्व से भी अधिक रूप में विश्व मे उभरेगा। कोई संशय नहीं, उसकी प्रक्रिया की हम अनुभूति कर रहे हैं लेकिन हम उसमें सहयोगी बन रहे हैं या नहीं, यह देखना है। ये 20, 25 साल ऐसे न निकल जाएं कि नाती, पोती को यह बताएं कि भारत ने जो गौरव प्राप्त किया, उसमें हम कुछ कर नही सके। यह बात शुक्रवार को वृंदावन में संत विजय कौशल महाराज के आश्रम निकुंज वन में आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कही।
उन्होंने कहा कि सदियों से आक्रमण झेलकर भी हिन्दू समाज हिन्दू बनकर जी रहा है। वरना इतने कत्लेआम हुए चाहते तो सभी लोग धर्म बदल लेते, लेकिन यह संकल्प का प्रभाव है कि हिन्दू धर्म चल रहा है। कितने भी व्यवधान आएं अपना ध्यान नहीं बंटना चाहिए। भारत माता की जय एक मिनट का नहीं, प्रत्येक क्षण का विषय है। यह एक मिनट में होगा भी नहीं, इसके लिए अभ्यास करना होगा। ध्यान माने इसी क्षण में जीना। दुनिया में घूमना, लेकिन अपने में रहना। कोई करे न करे, मुझे करना है।
भागवत ने कहा कि भारत माता की जय यहां बोलने से ही जय नहीं होगी, उसके लिए आचरण करना होगा। उस पर योगी जी और रामदेव पर्याप्त बोल चुके हैं। हमें क्या करना है, यह सोचकर काम करना होगा। पहले दृढ़ और शुद्ध संकल्प जरूरी है। इस कार्यक्रम में आए हैं तो क्या सोचकर आए हैं, क्या लक्ष्य लेकर आए हैं, यह सोचना जरूरी है। कोई मनोरंजन के लिए, कोई कमाई के लिए आया है। कितने लोग आराध्य की प्रत्यक्ष अनुभूति लेने आते हैं। यहां जब तक हैं तब तक जय बोल रहे हैं, बहुत रीचार्ज हैं, लेकिन यहां से जाने के बाद कितने लोग ध्यान रखेंगे। इसलिए पहले दृढ़ संकल्प जरूरी है। उत्कृष्ट विचार यहां से आप लेकर जाएं। इसके लिए संकल्प जरूरी है। ऐसे भी लोग हैं, जो ज्ञान, ध्यान की बात उस अवस्था में करते हैं जब कुछ कर नहीं सकते। जबकि यह हर समय की बात होनी चाहिए।