मंचों और मैदानों से डिजिटल हो गई हमारी प्राचीन रामलीला

लखनऊ। कोरोना महामारी का असर दशहरा के उत्साह पर भी पड़ गया है। उप्र उप्र सरकार ने अनलॉक प्रक्रिया में 200 लोगों तक के समूह को अनुमति दे दी है। इसके बाद भी अयोध्या और काशी में रामलीला की सैकड़ों वर्षो से चली रही कई परंपराएं और गतिविधियां ठप है। जबकि नये प्रयोग हो रहें है। अयोध्या में सरयू नदी के किनारे लक्ष्मण किला मंदिर में परपंरा से अलग हट कर सिनेमा के कलाकार रामलीला करेगें। उप्र के पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी ने कहा कि महामारी के चलते हमें बेहद सावधानी रखनी है। अयोध्या की रामलीला से रामभक्तों को आनंद आयेगा। आयोजकों ने मुख्यमंत्री योगी को भी आमंत्रित किया है। प्रदेश में तमाम ऐसे स्थानों पर जहां रामलीला आयोजित होती रहीं है, वहां प्रतीकात्मक रूप से ‘मुकुट पूजा’ होगी। प्रदेश में रामलीला आयोजित होने वाले प्रमुख स्थानों की संख्या करीब 5 हजार है।
अयोध्या की रामलीला के लिए प्रभु श्रीराम की ससुराल जनकपुरी नेपाल से राजशाही वस्त्र बनकर आए हैं। माता सीता के गहने अयोध्या में ही तैयार हुए है। भगवान श्रीराम जी का धनुष कुरुक्षेत्र से और रावण की कई पोशाकों में से एक पोशाक श्रीलंका में बनी है। रामलीला का प्रसारण सिर्फ सैटेलाइट चैनल्स, यूट्यूब चैनल और अन्य सोशल मीडिया चैनल्स पर ही 17 से 25 अक्तूबर तक शाम 7 बजे से 10 बजे तक होगा। इस रामलीला को रिकार्ड कर एक हफ्ते बाद 14 भाषाओं हिंदी, इंग्लिश, भोजपुरी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मराठी, पंजाबी, उर्दू, राजस्थानी, हरियाणवी, बंगला, मिथैली व ओडिया में यू-ट्यूब पर अपलोड किया जाएगा। जब बाकी जगहों पर रामलीला नही हो रही है। अयोध्या के विधायक वेद प्रकाश गुप्ता इस नये प्रयोग को लेकर उत्साहित है। उन्होने कहा कि अयोध्या की इस रामलीला से रामभक्तों व लीला प्रेमियों को आनंद आयेगा। गुप्ता रामलीला की तैयारियों को अंतिम रूप देने में सहयोग कर रहें है। अयोध्या में होने वाली खास रामलीला को दिल्ली के दो संगठनों, मेरी मां फाउंडेशन और राम की रामलीला आयोजित कर रही है। पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट से भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा, समिति के मुख्य संरक्षक हैं।
अयोध्या में होने वाली अनवरत रामलीला को कोरोना और लॉकडाउन के चलते सात महीने से बंद है। अयोध्या शोध संस्थान ने इसे शुरू करने की अनुमति मांगी थी। लेकिन जिला प्रशासन ने अनुमति नही दी। कोविड संक्रमण के चलते अनवरत रामलीला का मंचन 21 मार्च से बंद कर दिया गया था। अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डॉ. वाईपी सिंह ने बताया कि अनवरत राम लीला से देश भर की रामलीला मंडलियों के करीब 400 कलाकार जुड़े हुए हैं। संस्थान के प्रशासनिक अधिकारी राम तीरथ ने कहा कि कोशिश की गई थी कि रामकथा पार्क में खुले में रामलीला प्रस्तुत हो , लेकिन दर्शकों की भीड़ की संभावना को देखते हुए इसे भी अनुमति नही मिली।
श्रीराम जन्मभूमि के प्रधान पुजारी सत्येंद्र दास ने बताया कि अयोध्या में रामलीला की पंरपरा धीरे-धीरे कमजोर पड़ती गई। कभी राजद्वार भवन में होने वाली रामलीला बेहद लोकप्रिय हुआ करती थी। यह खुले में होती थी। जिसमें रामचरित मानस और राम के दूसरे महाकाव्यों के दोहे चौपाइयों का प्रयोग होता था। पूरी लीला के दौरान हर घटना के मुताबिक दोहे और चौपाइयों को स्वर पाठ होता था। व्यास पीठ पर विराजमान संत घटना का जिक्र करते थे। लेकिन बाद में किन्ही कारणों से ठप हो गई। लेकिन भगवंताचार्य स्मारक भवन और राजेंद्र निवास में रामलीला का मंचन होता रहा है। यह मंच पर अलग-अलग दृश्यों वाले पर्दे का प्रयोग होता है, जो इस साल नही हो पा रही है। लेकिन इन स्थानों पर पूजा होगी। दास ने बताया कि अयोध्या में भगवान राम के जन्म लेने के बाद ही लीला शुरू हो गई थी। जब भगवान वनवास के लिए गए तो अयोध्या में उनके बाल्यकाल और ब्रह्मचर्य जीवन की लीला आयोजित हो थी। सत्येंद्र दास ने बताया कि ऐसा माना जाता है कि अयोध्या में रामलीला कभी बंद नही हुई। लेकिन पिछले 400 वर्षो से हो रही रामलीला की शुरूआत का श्रेय तुलसीदास के समकालीन मेघाभगत को दिया जाता है।