मां काली का ऐसा मंदिर जहां चढ़ता है नूडल्स, चॉप्सी, राइस

Kali-Mandir-in-Tangra
फीचर डेस्क। नवरात्रि में देवी के नौ रूपों को पूजा जाता है, लोग जहां देवी मंदिरों में जाकर माता के दर्शन करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं वहीं तरह-तरह से उपवास कर माता को प्रसन्न करने की कोशिश भी करते हैं। देवी के नौ रूपों में से एक मां काली की पूजा को लेकर कलकत्ता की पहचान अलग ही है। कलकत्ता में मां काली के एक नहीं कई मंदिर बने हैं जिनमें सबसे ज्यादा प्रचलित है दक्षिणेश्वरी काली, कालीघाट और स्वयंभवा मंदिर हैं। यहां नवरात्रि में दूर्गा पूजा का आयोजन होता है जो अपने आप में अद्भुत होता है। इन सबसे अलग और आकर्षण का विषय है एक मंदिर जो की कलकत्ता के चायना टाउन में बना है।
जब देश भर में नवरात्रि के दौरान भक्त उपवास करते हुए नमक और पानी तक का त्याग कर देते हैं इस मंदिर में चीनी लोग माता को नूडल्स, चॉप्सी, चावल और शाकाहारी सब्जियों को भोग लगाते हंै। इस मंदिर को यहां के लोग चायनीज काली मंदिर के नाम से पहचानते हैं। दरअसल कलकत्ता में बने चायना टाउन जिसे तांगरा के नाम से पहचाना जाता है, में देश के सबसे ज्यादा चीनी लोग रहते हैं। कलकत्ता में बसे इन चीनी लोगों में कुछ बौद्ध धर्म को मानते हैं तो कुछ ईसाई हैं लकिन इसके बावजूद वह हिंन्दूओं की तरह इस मंदिर में आते हैं और माता की पूजा में भाग लेते हैं। यहां बना चायनीज काली मंदिर ना सिर्फ अपने आप में अलग पहचान रखता है बल्कि यह दो देशों और धर्मो को जोडऩे का काम भी करता है। यह मंदिर सर्वधर्म समभाव की एक अनूठी मिसाल है।
तांगरा में बने इस मंदिर में बारे में कहा जाता है कि यह 63 साल पुराना है। शुरूआत में एक पीपल के पेड़ के नीचे दो सिंदूर लगी हुई छोटी मूर्तियां थीं। एक बार एक चीनी बच्चा और उसके माता-पिता बीमारी से परेशान होकर यहां पूजा करने आए और उसके बाद से यहां पूजा की परंपरा शुरू हो गई। माता की वह मूर्तियां आज भी इस मंदिर में हैं। इस मंदिर को यह नाम यहां आने वाले चीनी भक्तों की वजह से मिला है। इस क्षेत्र में रहने वाले लगभग 2000 से ज्यादा परिवार के लोग रोजाना मंदिर के सामने से निकलते वक्त नंगे पैर खड़े होकर दोनों हाथ जोड़कर माता को प्रणाम करके ही आगे बढ़ते हैं। नवरात्रि में होने वाले आयोजनों में भी यहां के चीनी लोग बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। इस मंदिर में दो धर्मो के बीच सौहार्द का अनोखा उदाहरण नजर आता है। यहां नवरात्रि के अलावा दीपावली में भी विशेष आरती का आयोजन किया जाता है जिसमें चीनी लोग भाग लेते हैं। जहां पूजा के लिए मंत्रोच्चार और आरती हिन्दू धर्म की होती है वहीं चीनी लोग भी उनके धर्म में पूजा के लिए उपयोग की जानी वाली मोमबत्तियां के अलावा लंबी अगरबत्ती और बुरी आत्माओं को दूर करने वाले विशेष रूप से बनाए गए कागजों को जलाते हैं।
लगता है नूडल्स और चॉप्सी को भोग
हिंन्दू और चीनी सभ्यता के मेल का प्रतीक यह मंदिर देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र भी है। जहां देश में लोग माता के मंदिरों में फलाहार और अन्य प्रसाद चढ़ाते हैं वहीं इस मंदिर में आने वाले भक्त माता को चीनी व्यंजन जिनमें नूडल्स, चॉप्सी, राइस और वेजिटेबल शामिल हैं का भोग लगाते हैं।