मायावती का कांग्रेसी दलित प्रेम पर हमला

mayawatiलखनऊ। भाजपा-शासित राजस्थान राज्य के वन विभाग में वनपाल पद हेतु हो रही शारीरिक परीक्षा में महिला उम्मीद्वारों की भी शारीरिक पैमाइश का काम पुरूषों द्वारा कराये जाने की तीव्र आलोचना करते हुये बसपा चीफ मायावती ने कहा कि सरकारी स्तर पर इस प्रकार की असंवेदनशीलता अति-निन्दनीय है तथा क्या यही भाजपा की हिन्दू संस्कृति है जिसे वह आगे बढ़ाना चाहती है। मायावती ने कहा कि महिला उम्मीद्वारों की शारीरिक पैमाइश का काम पुरूषों से कराना अत्यन्त ही आपत्तिजनक है। यह महिलाओं का शोषण व उत्पीडऩ है और इसकी जितनी भी निन्दा की जाये कम है।
एक ऐसे प्रदेश में जहाँ कि मुख्यमंत्री स्वयं एक महिला है व ऐसी पार्टी की सरकार है जो हिन्दू संस्कृति की रक्षक होने का चैम्पियन अपने आपको मानती है, ऐसे राजस्थान प्रदेश में इस प्रकार की महिला-विरोधी घटना अत्यन्त ही निन्दनीय व खेदजनक है। इतना ही नहीं महाराष्ट्र के भाजपा सांसद द्वारा वहाँ के किसानों द्वारा कर्ज़ के बोझ से मजबूर होकर आत्महत्या करने की बढ़ती घटनाओं को फैशन करार देने सम्बन्धी बयान की भी तीव्र निन्दा करते हुये बी.एस.पी. प्रमुख ने कहा कि यह बीमार मानसिकता का द्योतक है और ऐसा लगता है कि सत्ता में आने के बाद हर छोटा-बड़ा भाजपा नेता, सांसद व मंत्री इतने ज्यादा उग्र व असंवेदनशील हो गये हैं कि उन्हें मर्यादाओं की भी थोड़ी भी चिन्ता नहीं रही है। वे पूरी तरह से असंवेदनशील व असहिष्णु हो गये हैं और उनको रोकने वाला कोई नहीं है।
साथ ही, आज लखनऊ में पार्टी कार्यालय में होने वाले तथाकथित Óदलित कन्क्लेव में कांग्रेस युवराज के शामिल होने के कार्यक्रम पर टिप्पणी करते हुये मायावती ने कहा कि सारे दलित-विरोधी काम करने के बाद दलित कन्क्लेव करना आँखों में धूल झोकने जैसा ही प्रतीत होता है।
आज़ादी के बाद से काफी लम्बे समय तक केवल हसीन सपने ही दिखाकर कांग्रेस पार्टी जब दलितों का वोट हासिल करती रही तब मजबूर होकर ही दिनांक 14 अप्रैल सन् 1984 को बी.एस.पी. की स्थापना मान्यवर श्री कांशीराम जी को करनी पड़ी थी। कांग्रेस के युवराज का कथित दलित कन्क्लेव कार्यक्रम वैसा ही है, जैसे किसान-विरोधी सारे काम करने के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अब घूम-घूम कर Óकिसान सम्मेलनÓ करने जा रहे हैं। परन्तु देश के सर्वसमाज में खासकर गऱीबों, दलितों, पिछड़ों, मुस्लिमों व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के हित व कल्याण के मामले में कांग्रेस व भाजपा इन दोनों ही पार्टियों का रवैया पूरी तरह से घोर विरोधी रहा है। इन सभी समाज के लोगों से इनका संवैधानिक हक़ तक छीनने की साजि़श लगातार की जाती रही है, जबकि जुबानी तौर पर केवल बड़ी-बड़ी बात करने का सिलसिला आज भी यथावत जारी है, जिस कारण यह दोनों ही पार्टियाँ अविश्वसनीयता का मार (दंश) झेल रही हैं। और जहाँ तक उत्तर प्रदेश में लगातार बिगड़ती हुई क़ानून-व्यावस्था का मामला है तो इस सम्बन्ध में यह जग-ज़ाहिर है कि गंभीर आपराधिक घटनायें अब मुख्यमंत्री व पुलिस प्रमुख के घरों का पास व उनकी नाक के नीचे घटनें लगी हैं। यह अत्यन्त ही चिन्ताजनक स्थिति है और प्रदेश में व्याप्त जंगलराज को ही दर्शाता है। इस प्रकार सपा सरकार खासकर अपराध-नियंत्रण व कानून-व्यवस्था के मामले में बुरी तरह से विफल साबित हुई है।