मिनी लंदन देखना है तो जाइये रांची के मैक्लुस्कीगंज

macluski

फीचर डेस्क। आज हम आपको एक ऐसे गांव की सैर पर लेकर चलते हैं जिसे लंदन की छवि माना जाता है। यूं तो लोग स्वच्छ वातावरण की तलाश में ही गांव जाते हैं। लेकिन आपने अब तक जो गांव देखा होगा उससे आपके मन में गांव की छवि कुछ ऐसी होगी- गाय, भैस, गोबर और छोटी मोटी दुकाने, मिट्टी के घर चुल्हे से निकलता धुआं आदि। लेकिन जिस गांव के बारे में हम आपको बताने वाले हैं वह गांव की इस छवि को बदल देगा। इस गांव की सैर करके आपको एक नया अनुभव होगा।
यह गांव झाकी राजधानी रांची से लगभग 65 किलोमीटर दूर उत्तर पश्चिम में स्थित है जिसे मैक्लुस्कीगंज के नाम से जाना जाता है। इस बस्ती को एग्लों इंडियन समुदाय के लोगों के लिए बसाया गया था जिसे आज मिनी लंदन भी कहा जाता है। इस गांव के पश्चिमी संस्कृति और गोरे लोगों के कारण ही लोगों को इसमें लंदन की छवि दिखाई देती है। इसी रहन सहन के तरीके के चलते इसे मिनी लंदन मानते है। इस गांव को 1930 के दशक में बसाया गया। उस समय आयी साइमन कमीशन की एक रिपोर्ट में ब्रटिश सरकार एग्लों- इंडियन को नजरअंदाज करते हुए उनकी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया था। इसके बाद एग्लों इंडियन की इस परेशानी को सामने देख मैकलुस्की नाम के एक व्यक्ति ने भारत में ही एक गांव बनाने का निश्चय किया जिसमें एग्लों समुदाय के लोग आसानी से रह सकें। उसी के बाद इस गांव को बसाया गया।
जानकारी के अनुसार कोलकत्ता और अन्य महानगरो के कई एग्लों इंडियन समुदाय के लोग इस गांव में डेरा जमाय हुए हैं। इस गांव में बड़े बड़े आकर्षक बंगले हैं। ऐसे में यदि आपको अनोखा गांव देखना है तो आप यहां जा सकता है।