मिलिये उन महिलाओं से जिनमें है दम

फीचर डेस्क। 15 अगस्त को हम आजादी के 70 साल पूरे कर रहे हैं। हाल के बरसों की एक उपलब्धि यह भी है कि महिलाओं ने समाज के बंधन तोड़ उन फील्ड में भी नाम कमाना शुरू कर दिया है, जिनमें अभी तक पुरुषों का ही दबदबा रहा है। बॉडीबिल्डिंग ऐसा ही एक क्षेत्र है।
अंकिता को दोस्त के यहां से निकलते-निकलते रात हो गई थी। सुनसान सडक़ पर वह अकेली थीं। तभी एक कार से पांच लडक़े उतरे और अंकिता को कार में खींचने की कोशिश करने लगे, लेकिन अकेली अंकिता उन पांचों से भिड़ गईं और उन पर भारी पड़ गईं। अंकिता की जान बॉडीबिल्डिंग के लिए उनके जुनून ने बचाई थी। अंकिता बॉडीबिल्डिंग की इंटरनैशनल प्लेयर हैं। वह 2014 से इस खेल में हैं। बॉडीबिल्डिंग की मॉडल कैटिगरी में वह एक जाना-माना नाम बन चुकी हैं। उन्होंने बेंगलुरु में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान 2008 में जिम जाना शुरू किया। इस बीच दोस्त से धोखा मिलने के बाद अंकिता डिप्रेशन में आ गईं। अंकिता के मुताबिक जिम की वजह से उनका डिप्रेशन खत्म हुआ। 2014 से उन्होंने बॉडी बिल्डिंग को प्रफेशनली अपनाने की सोची। उनके पिता राजनीति में हैं और वह नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी ऐसे खेल में आए जिसमें बिकिनी पहननी पड़े। बेटी के फैसले से वह इतना नाराज हुए कि उन्होंने एक साल तक अंकिता से बात नहीं की। बाद में जब बेटी को कामयाबी मिली तो पिता की नाराजगी भी खत्म हो गई। अंकिता फिलहाल बेंगलुरू में एक एमएनसी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। वह नॉर्मल दिनों में डेढ़ से 2 घंटे जिम करती हैं और चैंपियनशिप से 1 महीने पहले 3 घंटे जिम में बिताती हैं।
उपलब्धियां: साल 2014 में फिटनेस कैटिगरी में वल्र्ड बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप में अंकिता ने पांचवीं पोजिशन हासिल की थी। 2015 में मिस इंडिया बॉडीबिल्डिंग कॉन्टेस्ट में वह तीसरे और 2016 में चौथे स्थान पर रहीं। अब वह अगस्त में होने वाली एशियन बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप की तैयारियों में जुटी हुई हैं।
मम्मी का मन रखने के लिए भूमिका कई साल से निशानेबाजी सीख रही थीं लेकिन उनका मन किसी दूसरे खेल में था। जिम में एक दिन ट्रेनर ने एक महिला बॉडीबिल्डर का विडियो दिखाया तो भूमिका को लगा कि यही वह खेल है, जिसकी उन्हें तलाश है। उत्तराखंड के देहरादून की रहने वाली भूमिका के लिए मम्मी-पापा को मनाना इतना भी आसान नहीं था। पड़ोसी कहने लगे कि इसमें कोई फ्यूचर नहीं है। लडक़ों जैसी मसल्स हो जाती हैं लेकिन भूमिका के जुनून के आगे सबने हार मान ली। वैसे, भूमिका को इस खेल में मम्मी हंसा शर्मा से बहुत मदद मिली। हंसा देश की महिला वेटलिफ्टिंग टीम की कोच हैं। किसी भी टूर्नामेंट के शुरू होने से तीन महीने पहले भूमिका रोजाना जिम में करीब 6 घंटे बिताती हैं, जबकि बाकी दिनों में करीब 2 से 3 घंटे जिम करती हैं। इसमें हर दिन 20 किमी की रनिंग, हेवी वेट ट्रेनिंग शामिल है। भूमिका बताती हैं कि इस खेल में आने के बाद आत्मविश्वास काफी बढ़ा है। लोग कुछ भी उलटा-सीधा कहने से पहले सोचते हैं। इस खेल में लड़कियों के कम आने पर उनका कहना है कि एक तो इसके लिए बहुता सारा पैसा चाहिए। डाइट, जिम और दूसरी चीजों पर काफी पैसा खर्च होता है। दूसरे, लोगों की सोच है कि लड़कियां नाजुक ही ठीक हैं। उन्हें सिर्फ घर संभालना चाहिए। इन्हीं सब वजहों से लड़कियां इस खेल में कम हैं।

उपलब्धियां: भूमिका ने पिछले दिनों दुनिया भर से आईं 50 महिलाओं को हराकर मिस वल्र्ड बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप जीती। इस चैंपियनशिप में उन्हें बॉडी पोजिंग में सबसे ज्यादा नंबर मिले थे। अब उनकी निगाहें दिसंबर में होने वाली मिस यूनिवर्स बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप पर हैं। इससे पहले वह साल 2016 में मिस दिल्ली बॉडिबिल्डिंग चैंपियन रह चुकी हैं।
42 साल की यह महिला दो बच्चों की मां हैं और इनका नाम भारत की टॉप बॉडीबिल्डरों में आता है। पिछले साल भूटान में हुई एशियन चैंपियनशिप में सोनाली ने फिटनेस कैटिगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। उनकी 13 साल की बेटी है और 7 साल का बेटा है। होटल मैनेजमेंट कोर्स कर चुकीं कथक डांसर सोनाली 4 साल पहले ही बॉडीबिल्डिंग में आई हैं। इनके पिता सेना से बतौर मेजर जनरल रिटायर हुए हैं। ऐसे में घर में शुरू से ही अनुशासन और खेलों का माहौल था। बेटे के जन्म के बाद वजन कम करने के लिए सोनाली ने साल 2012 में जिम जॉइन कर लिया। इसके बाद सोनाली ने वेट ट्रेनिंग लेनी शुरू की। इसके बाद सोनाली ने 2014 से बॉडीबिल्डिंग कॉम्पिटिशन में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। सोनाली को बॉडीबिल्डिंग में आने के दौरान पति का बहुत सपोर्ट मिला। टूर्नामेंट के दौरान पति ही उनके फोटो खींचते हैं और खाने का ध्यान रखते हैं। उनका कॉन्फिडेंस भी बढ़ा है कि शादी और बच्चों के बाद भी महिलाएं बहुत कुछ कर सकती हैं। वह सुबह 5 बजे उठकर करीब 45 मिनट जिम करती हैं। इसके बाद बच्चों का नाश्ता तैयार कर उन्हें स्कूल भेजती हैं। 7 से 11 बजे तक अपने ऑनलाइन क्लाइंट्स को ट्रेनिंग देती हैं। 11 से 12 वह फिर जिम करती हैं।

उपलब्धियां: 2014 में मुंबई में फिट फैक्टर शो जीता। 2015 में मसलमेनिया टूर्नामेंट में 2 गोल्ड जीते। इसी साल वल्र्ड बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप में टॉप टेन में रहीं।
बॉक्सर मैरीकॉम ने मणिपुर को एक नई पहचान दिलाई है। ऐसा ही काम वहां की बॉडीबिल्डर सरिता देवी कर रही हैं। सरिता देवी ने साल 2010 में शादी के बाद यह खेल शुरू किया। 2 बच्चे होने के बाद भी उनका खेल जारी है। अब वह अगस्त में एशियन चैंपियनशिप और अक्टूबर में मंगोलिया में होने वाली वल्र्ड बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगी। 55 किलो वेट कैटिगरी की बॉडीबिल्डर सरिता दिन में 3 घंटे जिम करती हैं। उन्हें खेल के साथ अपने घर और बच्चों का भी ध्यान रखना होता है। सरिता के दो बेटे हैं, उनके पति डेंटल क्लिीनिक चलाते हैं। सरिता महीने में डाइट और जिम पर करीब 15 हजार रुपये खर्च करती हैं। उनका कहना है कि अगर मणिपुर सरकार से नौकरी मिल जाए तो उनकी स्थिति कुछ बेहतर हो जाएगी।
उपलब्धियां: साल 2015 में वल्र्ड बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 2015 और 2016 की एशियन बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल हासिल किया। 2016 की वल्र्ड बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप में चौथी पोजिशन हासिल की।

साभार एनबीटी