मीट पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा: जबरन नहीं थोप सकते बैन

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नई दिल्ली। जैन समुदाय के पर्यूषण पर्व को लेकर मुंबई में चार दिन के लिए मीट की बिक्री पर बैन को लेकर चल रहा विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया हैं जिसमें मीट पर बैन हटा दिया गया था। हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते कहा था कि मुंबई एक मेट्रोपोलिटन शहर है। मांस की बिक्री पर इस तरह का सीधा प्रतिबंध फॉर्मूला नहीं हो सकता। पैकेज्ड मीट के बारे में क्या है, जो पहले से ही बाजार में उपलब्ध है। इस बैन का विपक्ष ही नहीं, सत्ताधारी बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने भी विरोध किया था।
विपक्षी कांग्रेस और एनसीपी के अलावा बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने आरोप लगाया कि 2017 के स्थानीय निकाय चुनावों को ध्यान में रखकर बीजेपी जैन समुदाय की तुष्टिकरण की कोशिश कर रही है। पर्यूषण के दौरान मीट पर बैन 1994 में शुरू हुआ था और उस समय कांग्रेस की सरकार थी। अधिकारियों ने बताया कि 10 साल बाद दो दिन के बैन को बढ़ाकर चार दिन कर दिया गया था, लेकिन असल में इसे कभी लागू नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि त्योहार के दिनों में स्लॉटर हाउस नहीं खुलेंगे, लेकिन मीट की बिक्री जारी रहेगी।
यानी कहीं और से मीट लाकर बेचा जा सकता है. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ जैन समुदाय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की लेकिन कोर्ट ने इस पर दखल देने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मीट बैन को लेकर दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर दखल देने से इंकार कर दिया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट को मामले पर फैसला देने के लिए 6 महीने का वक्त दिया है। दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई समेत दूसरे शहरों में जैन धर्म के पर्यूषण पर्व के दौरान मीट की बिक्री पर रोक लगाने के बीएमसी के फैसले पर रोक लगा थी। बीएमसी ने राज्य में एक हफ्ते के लिए मीट पर बैन लगाने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ व्यवसायियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी।