मैं तो बाबा साहब का भक्त हूं.आरक्षण पर खरोच तक नहीं आने दी

narendra modiनई दिल्ली,दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आज बाबा साहब आंबेडकर के राष्ट्रीय मेमोरियल का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिलान्यास किया। इस मौके पर आयेाजित लेक्चर को संबोधित करते हुए उन्होंने दलित के नाम पर हो रही राजनीति पर जमकर निशाना साधा।
उन्होंने कहा बाबा साहब को सिर्फ दलितों का मसीहा बोलकर अपमान किया जा रहा है। मैं बाबा साहेब का भक्त हूं, मुझे देखकर लोगों को बुखार आ जाता है।अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक का शिलान्यास करते ही उन्होंने कहा ये २०१८ तक बनकर तैयार हो जाएगा। पिछले ६० सालों में तमाम सरकारों उनकी याद में स्मारक बनाने का प्रयास नहीं किया। हम १४ अप्रैल २०१८ को उद्घाटन करने आएंगे। उन्होंने कहा, हम बाबा साहेब के साथ अन्याय करते हैं। हम बाबा साहब अंबेडकर को सिर्फ दलितों का मसीहा बोलकर अपमान न करें। उन्हें सीमित न करें। हर पीढ़ी, दबे कुचले के मसीहा थे वह। उनको भारतीय की सीमाओं में बांधना ठीक नहीं। वह हर पीडि़त की आवाज थे। विश्व जैसे मार्टिन लूथर किंग को जानता है हम उसी तरह बाबा साहेब को देखते हैं।मोदी ने कांग्रेस और विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, कुछ लोग हमें देखना नहीं चाहते, उन्हें बुखार आ जाता है। इसीलिए मन का आपा खो देते हैं। जिन लोगों ने ६० साल तक काम नहीं किया। जब वाजपेई जी की सरकार आया था तो यही फैलाया गया था कि अब ये भगवा वाले आ गए आरक्षण खत्म कर देंगे। हमने कभी भी गरीब, पीडि़त के आरक्षण पर खरोच तक नहीं आने दी। फिर भी हम पर झूठ चलाया जा रहा है। ये सिर्फ राजनीति करने वाले लोग हैं इसलिए झूठ फैला रहे हैं। हमने पहले भी कहा था, खुद बाबा साहब भी आ जाएं तो आपका आरक्षण नहीं छीन सकते हैं। उनकी राजनीति इससे चलती होगी लेकिन इससे समाज में दरार आती है।  प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, जो मानवता में विश्वास करते हैं उन्हें उन पर विश्वास करना चाहिए। बाबा साहेब ने सामाजिक एकीकरण का काम बाबा साहेब अंबेडकर ने किया। लोग इतिहास को अपने अपने हिसाब से बदलते रहे हैं। जब पार्लियामेंट में कानून बनाने की बारी आई और महिलाओं को समानता का अधिकार देने की बात आई तो कांग्रेस ने इसका विरोध किया। बाबा साहेब का ये सपना सिर्फ दलितों के लिए नहीं, टाटा बिड़ला के घर की महिलाओं के लिए भी था। पर कांग्रेस और राजनेताओं ने तमाम डर पैदा किए। उसी समय अंबेडकर जी ने मंत्री पद छोड़ दिया था। धीरे धीरे बहुत साल लग गए कई सरकारें आ के चली गईं और वे सारे प्रस्ताव स्वीकार किए जो जो बाबा साहेब ने तैयार किए थे।