मैसेज स्टोर पॉलिसी: विवाद बढऩे पर पलट गयी सरकार

whatsap
नई दिल्ली। सरकार वॉट्सऐप, स्नैपचैट और गूगल हैंगआउट्स जैसे इंटरनेट बेस्ड कम्युनिकेशन से इन्क्रिप्टेड मैसेज डिलीट करने को जल्द ही गैरकानूनी बनाना चाहती थी मगर सोशल मीडिया पर जिस प्रकार से लोगों ने अपने लाखों कमेंट भेजे सरकार ने राय बदल दी। संचार मंत्री ने कहा कि केवल राय मांगी गयी है। संचार मंत्रालय के एन.एन. कौल ने कहा कि आम यूजर्स को इन्क्रिप्टेड डेटा 90 दिन तक स्टोर रखने पर मजबूर नहीं किया जाएगा। वहीं, संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी मीडिया को बताया कि यह जिम्मेदारी सिर्फ इंटरनेट बेस्ड मैसेजिंग सर्विस देने वाली कंपनियों पर होगी। कोई नियम नहीं बनाया गया है। सिर्फ राय मांगी गई है। सरकार की तरफ से यह सफाई दी गई कि ड्राफ्ट पॉलिसी में सोशल मीडिया साइट्स और मैसेजिंग ऐप्स को छूट दी जाएगी।
सरकार की नई ड्राफ्ट पॉलिसी पर 16 अक्टूबर तक पब्लिक से राय मांगी गई है। लेकिन जैसे ही यह ड्राफ्ट सामने आया, सोशल मीडिया पर लोगों ने सरकार को निशाने पर लेना शुरू कर दिया। दरअसल, सरकार नेशनल सिक्युरिटी के मकसद से इन्क्रिप्शन पॉलिसी बदलना चाहती है। सरकार किसी भी क्राइम की जांच के दौरान पर्सनल ईमेल, मैसेज और यहां तक कि प्राइवेट बिजनेस सर्वर तक सिक्युरिटी और इंटेलिजेंस एजेंसियों का एक्सेस चाहती है। इसलिए उसने नई पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार किया है। इन्क्रिप्टेड मैसेजस का इस्तेमाल पहले मिलिट्री या डिप्लोमैटिक कम्युनिकेशन में होता था। लेकिन कई इंटरनेट बेस्ड मैसेजिंग सर्विसेस देने वाली कंपनियां अब आम यूजर्स के लिए इन्क्रिप्शन का इस्तेमाल करने लगी हैं।