मोदी की मंशा पर पानी: काशी और क्योटो के बीच नहीं हो सका अनुबंध

kashi and queto

लखनऊ। क्योटो की तर्ज पर काशी का विकास फिलहाल अधर में लटकता नजर आ रहा है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय, जपानी टीम व स्थानीय नगर निगम प्रशासन के बीच दो दिनों की लंबी बैठक के बाद विकास का समझौता टल गया। मंगलवार को काशी और क्योटो नगर प्रशासन के बीच समझौते पर दस्तखत होने थे। वाराणसी के महापौर राम गोपाल मोहले ने कहा, जापानी टीम पहले मुकम्मल रोड मैप तैयार करे, उसके बाद समझौता होगा।
आरोप है कि जापानी टीम विकास का रोड के बिना आयी थी। हालांकि उसके पास समस्याओं की सर्वे रिपोर्ट थी। जबकि देश में सरकारी योजनाएं का अंजाम चाहे जो हो विस्तृत परियोजना रिपोर्ट जरूरी होता है। क्योटो से आये जापानी प्रतिनिधियों के साथ दो दिन तक होटल ताज गेटवे में इनवायरमेंटल सल्यूशन फार वाराणसी सिटी विषय पर इंडिया जापान कार्यशाला हुई। लोगों को वाराणसी के विकास की उम्मीद बनी थी। इस दौरान जापानी टीम के साथ कचरा व सीवेज प्रबंध, जलापूर्ति और जल निकासी की मुकम्मल व्यवस्था, पक्का महाल, सारनाथ सहित अन्य हेरीटेज जोन का विकास और पर्यटन कारोबार को बढावा, गंगा किनारे रीवर फ्रंट डेवलपमेंट, पार्किंग, उन्नत यातायात व्यवस्था और जीरो होर्डिंग पालिसी, काशी और क्योटो के बीच एक दूसरे की व्यवस्थाओं वाले मेला और प्रदर्शनी, नगर निगम की कार्यप्रणाली को क्योटो की तरह विकास करना आदि बिंदुओं पर व्यापक चर्चा हुई। कार्यशाला में गंगा निर्मलीकरण प्रोजेक्ट से संबंधित एनेएस कंसल्टेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर ताकाशि फूजी ने रिपोर्ट पेश की। इसमें गंगा जल का बीओडी मानकबिंदु तीन मिलीग्राम प्रति लीटर से पांच गुना था। रिपोर्ट में गंगा जल का बीओडी 16 मिलीग्राम प्रति लीटर है। जापान सर्वे आफ टेक्निकल कारपोरेशन की रिपोर्ट में जनरल मैनेजर इचिरो कोनो ने बताया कि गंगा में 42 प्रतिशत मल जल सीधे गिर रहा है। प्रतिदिन 120 टन कचरे का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। जबर्दस्त अभ्यास और चर्चा के बाद नतीजा शून्य रहा। अब एक और बैठक का इंतजार है।