मोदी बोले: मंदी के बाद भी बनी रही भारत की साख

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्वालालामपुर में एशियान शिखर सम्मेलन के अवसर पर चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग से आज मुलाकात कर आर्थिक मंदी, जलवायु परिवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के वैश्विक परिदृश्य के संदर्भ में समीक्षा की। चीन के प्रधानमंत्री ने माना कि भारत ने मंदी के बावजूद अपनी विकास दर को बनाए रखा है। दोनों पक्षों ने पेरिस में सीओपी- 21 सम्मेलन की तैयारियों की भी समीक्षा की। मोदी ने दुनिया भर के निवेशकों को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि भारत तेजी से बड़ रही अर्थव्यवस्था है इसलिए निवेशकों को लाभ होगा।
मोदी ने कहा कि भारत की स्थिति लगभग सभी आर्थिक सूचकांकों में बेहतर है। 18 माह पूर्व राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सरकार में आने के बाद देश के आर्थिक हालात सुधरे हैं और आज प्रत्येक आर्थिक सूचकांक में भारत की स्थिति बेहतर है। प्रधानमंत्री ने भारत और आसियान के देशों को स्वाभाविक साझीदार बताया और कहा कि इनके बीच संबंध प्राचीन काल से हैं। उन्होंने कहा कि मैं कहता रहा हूं कि 21वीं सदी एशिया की सदी है। मैं ऐसा आसियान देशों के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए कहता हूं। मोदी शनिवार को ही 13वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और रविवार को 10वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। भारत बौद्धिक संपदा अधिकार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध मोदी ने कहा कि भारत सभी अन्वेषकों के बौद्धिक संपदा अधिकार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। मोदी ने कहा कि इस साल औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में पिछले साल के मुकाबले वृद्धि देखी गई है। हम भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में विकसित करने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आपको इसके लिए आश्वस्त करना चाहता हूं कि भारत सभी अन्वेषकों के बौद्धिक संपदा अधिकार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
सम्मेलन में नरेन्द्र मोदी ने सौर गठबंधन पहल पर चीन के प्रधानमंत्री को जानकारी देते हुए उन्हें इससे जुडऩे का निमंत्रण दिया। दोनों पक्षों ने सहमति जताई कि आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इससे मुकाबला करने के लिए एक साथ आ जाना चाहिए। दोनों पक्षों ने व्यापार और निवेश पर भी द्विपक्षीय वार्तालाप किया जिसके अंतर्गत प्रधानमंत्री ने एक बार फिर से चीन के साथ भारत के व्यापक व्यापार घाटे पर चिंता जताई।
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने दोपहर के भोजन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगवानी की। आबे ने दोहराया कि भारत-जापान द्विपक्षीय संबंध विश्वभर में किसी भी द्विपक्षीय संबंधों में सबसे ज्यादा अहम हैं। प्रधानमंत्री ने जापान के प्रधानमंत्री की द्विपक्षीय संबंधों की परिकल्पना पर सहमति जताते हुए कहा कि वह शिंजो आबे की भारत यात्रा को लेकर आशान्वित हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जापान दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे (डीएमआईसी) जैसी कई पहलों में भारत के साथ साझेदारी कर रहा है, जिसका बेहद महत्व है। विचार-विमर्श के दौरान क्षेत्रीय संपर्क, समुद्री सुरक्षा, आगामी सीओपी-21 सम्मेलन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और आतंकवाद जैसे अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर भी खास ध्यान दिया गया।