यूपी भाजपा को नहीं मिल रहा कल्याण जैसा करिश्माई नेता

bjp-upयोगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। बिहार विधानसभा चुनाव में बुरी तरह शिकस्त खाई भारतीय जनता पार्टी यूपी में अपना कुनबा दुरूस्त करने की जुगत में लग गई है। माना जा रहा है कि लक्ष्मीकांत बाजपेई जिनका प्रदेशाध्यक्ष का कार्यकाल इसी साल समाप्त हो रहा है के स्थान पर किसी पिछड़े को लाकर चुनाव वैतरणी पार की जा सके। पिछड़े अध्यक्ष के रूप में भाजपा नेतृत्व को कल्याण सिंह जैसे कद के नेता की तलाश है। कल्याण सिंह के बाद पिछड़ों में ओमप्रकाश सिंह और विनय कटियार को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपी गई लेकिन वे पार्टी के लिए उतने फलीभूत नहीं जितनी उसे अपेक्षा की गई थी। जबकि अगड़ी जातियों केशरी नाथ त्रिपाठी और अब लक्ष्मीकांत बाजपेयी को क मान सौंपी गई लेकिन बावजूद उसके पार्टी को ये तीनों प्रदेशाध्यक्ष कोई खास फायदा नहीं पहुंचा सके। पिछड़े वर्ग के प्रदेशाध्यक्ष के रूप में कल्याण सिंह जैसा कोई दूसरा करिश्माई नेता भाजपा को नहीं मिला। नए प्रदेशाध्यक्ष के रूप में पिछड़ों में कई नामों की चर्चा है उनमें सांसद केशव मौर्या,स्वतंत्र देव सिंह और धर्मपाल सिंह के नाम भी शािमल है। बिहार के नतीजों से सबक लेते हुए पार्टी नेतृत्व को लगता है कि अभी डेढ़ साल से ज्यादा का समय बाकी है ऐसे में किसी पिछड़े की अगुवाई चुनाव में मैदान मारा जा सकता है। बसपा भी अब अति पिछड़ों को लेकर अपनी रणनीति तैयार करने में जुटी है। पिछड़ों के नाम पर भाजपा ऐसे चेहरें को आगे लाना चाहती है जो भाजपा को सपा-बसपा के विकल्प के रूप में पेश करने में कारगर साबित हो सके। भाजपा जानकारों की माने तो नए प्रदेशाध्यक्ष का चयन साल बीतने के पहले ही होने की संभावना है। बिहार चुनाव नतीजों से सहमी भाजपा अपना हर कदम फंूक-फंूक कर आगे बढ़ा रही है। कल्याण सिंह राज्यपाल बनने के बाद अब यूपी भाजपा के पास पिछड़े नेता के रूप में ऐसा कोई चेहरा नहीं है जो माया या मुलायम का विकल्प बन सके। ओमप्रकाश सिंह और विनय कटियार को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपी जा चुकी है लेकिन ये दोनों ही कल्याण सिंह जैसा कोई करिश्मा नहीं दिखा सके।