यूपी में कांग्रेस को चमकाने का नया फार्मूला हैं प्रशांत किशोर

rahul-k-smal_

लखनऊ। यूपी में कांग्रेस को फिर से जिंदा करने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी लगातार जूझ रहे हैं। राजनीति की बिसात पर अपने-अपने तरीके से जहां विपक्ष मोहरे बिठाने में लगा है वहीं कांग्रेस की नैया पार लगाने के लिए राहुल गांधी भी लगातार प्रयोग कर रहे हैं। यूपी राहुल गांधी व पूरी कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि कहा जाता है कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी होकर ही जाता है। यूपी कांग्रेस में फिर से धार लाने के लिए राहुल अबकी कुछ नये प्रयोग भी कर रहे हैं। यूपी में हाल ही में हुए उपचुनाव में देवबंद विधानसभा से कांग्रेस ने जीत दर्ज करके सबको हैरत में भी डाल दिया है। देवबंद की जीत से उत्साहित कांगे्रस नेता भी मान रहे हैं कि जनता अब बदलाव का मूड बना रही है ऐसे में कांग्रेस को फायदा मिल सकता है।
उल्लेखनीय है कि लगातार अपनी रणनीतियों के जरिये राजनेताओं को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने वाले प्रशांत किशोर भी राहुल गांधी के साथ हो लिये हैं। प्रशांत किशोर को राजनीति का बाजीगर कहा जाने लगा है क्यों कि अभी तक जिसने-जिसने भी उनकी मदद ली है उसकी नैया पार लग गयी। यूपी में राजनीतिक क्षितिज पर एक बार फिर चमकने के लिए प्रयासरत कांग्रेस के रणनीतिकारों में शुमार किए गए प्रशांत किशोर 10 मार्च को वरिष्ठ नेताओं से राय मशविरा करेंगे। किशोर की इस बाबत यहां पहली यात्रा होगी। लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार विधानसभा चुनाव में नीतिश कुमार के चुनाव प्रबंधक रहे प्रशांत किशोर के सामने कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में खड़ा करना एक बड़ी चुनौती है। कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि किशोर का आगामी 10 मार्च को कार्यक्रम है। वह वरिष्ठ नेताओं के साथ ही कुछ कार्यकर्ताओं से भी बातचीत कर सकते हैं। उन्होने बताया कि किशोर ने हालांकि यूपी में कांग्रेस को चुनावी सफलता दिलाने के लिए निर्विवाद और तेज नेता को आगे करने की आवश्यकता बताई है। इसमें कुछ लोग कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा का भी नाम ले रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में पार्टी के उत्तर प्रदेश के नेताओं की दिल्ली में हुई दो मार्च को हुई बैठक में किशोर का मत था कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 25 साल पुरानी स्थिति में लाना बहुत आसान नहीं है लेकिन यदि कोई चमत्कारी चेहरा आगे किया जाए तो यह काम हो भी सकता है। प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में लाकर आगे किये जाने की कई बार मांग उठ चुकी है हालांकि राहुल गांधी ने हर बार कहा कि वह मेरी बहन है, वह जो भी करना चाहेगी मैं हरसंभव मदद करुंगा। वह काफी समझदार है। जनता के बीच उसे काम करने में कठिनाई नहीं होती। प्रियंका अपनी मां सोनिया गांधी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली और अमेठी में जाती रही हैं। इन क्षेत्रों में उनकी स्वीकार्यता भी है इसलिए लोगों को लगता है कि यदि 2017 के चुनाव में उनकी ही अगुवाई में चुनाव मैदान में जाया जाए तो बेहतर प्रदर्शन की उ मीद की जा सकती है। प्रियंका गांधी द्वारा बार-बार राजनीति में न आने की घोषणा के बाद भी पार्टी के कार्यकर्ता उनसे लंबे समय से यूपी में सक्रिय होने की अपील कर रहे हैं। प्रियंका गांधी भले चुनाव न लड़ी हों, लेकिन अपनी मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के चुनाव प्रबंधन का काम वह बखूबी संभालती आई हैं। बहरहाल यूपी में कांग्रेस को फिर से जिंदा करने की कवायद कितनी रंग लाती है यह तो वक्त ही बतायेगा मगर पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी वह सारे प्रयोग कर लेना चाहते हैं जिससे उन पर लगा फेलियर का दाग भी हट सके।