ये है मार्कोस कमांडो जिनसे भय खाते है दुश्मन

marcos-commandosफीचर डेस्क। अभी तक आपने विदेशों में दुनिया के सबसे बेहतरीन कमांडो के बारे में सुना होगा चाहे वो मोसाद के स्पेशल कमांडो हो या अमेरिका नेवी सील कमांडो, लेकिन भारत में भी ऐसे ही कुछ कमांडो बनाए जाते है जो हर 10 हजार में से एक चुने जाते है। ये कमांडो है मार्कोस या मरीन कमांडो जिन्हें अमेरिका की नेवी सील कमांडो की तर्ज पर तैयार किया गया है। मार्कोस कमांडो बनने के लिए सबसे कठिन परीक्षा से गुजरा जाता है। इन कमांडो को सेना में से ही चुना जाता है और सबसे बेहतरीन सैनिक को मार्कोस कमांडो में चुना जाता है। एक मार्कोस कमांडो को अपने जीवन में सबसे कठिन ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। इन्हें अमेरिका के नेवी सील कमांडो की तर्ज पर तैयार किया जाता है। इन्हें तैराकी से लेकर घुड़सवारी, हाई जम्पिंग, स्काई डाइविंग तक में महारत हासिल होती है। इन कमांडो को स्पेशल कराटे सिखाये जाते है और हर तरह के हथियार, हेलीकाप्टर, जहाज चलाना सिखाया जाता है।इन कमांडो को ऐसे तैयार किया जाता है की ये जमीन, आसमान और पानी कही भी लड़ सके और अपने कई दुश्मनों पर पर अकेला ही एक कमांडो भारी पड़ता है। इन कमांडो को ढाई साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद तैयार किया जाता है जिसके बाद ये कमांडो जमीन, समुद्र और हवा में लडऩे के लिए पूरी तरह से सक्षम हो जाते हैं। मार्कोस कमांडो का मकसद आपात स्थिति में या आतंकी हमले के समय आतंकियों को मारना, जवाबी कार्रवाई, मुश्किल हालात में युद्ध करना, लोगों को बंधकों से मुक्त कराना जैसे खास ऑपरेशनों को पूरा करना है। मुबंई हमले में मार्कोस ने भी आतंकियों को काबू किया था। 2008 में मुंबई में हुए फिदायीन हमले में जब ताज होटल को आतंकियों ने अपने कब्जे में ले लिया था तब इन कमांडो का प्रयोग किया गया था। स्पेशल कमांडो दस्ते ने कुछ घंटो में होटल ताज और नरीमन हाउस को आतंकियों से मुक्त करवा लिया था।