योगी करो तैयारी: कैराना है अबकी बारी

लखनऊ। यूपी की दो लोकसभा सीटों के उपचुनाव में मात खाने के बाद योगी सरकार के सामने कैराना लोकसभा क्षेत्र का उपचुनाव में साख बचाने की चुनौती है। कैराना सीट के उपचुनाव से उप्र में भाजपा विरोधी गठबंधन की तस्वीर पूरी तरह साफ होगी। यह सीट वरिष्ठ भाजपा नेता हुकुम सिंह के निधन से खाली हुई है। इस सीट पर 4 जुलाई से पहले चुनाव होना है।
महत्वपूर्ण यह भी है कि उपचुनाव में उम्मीदवार न उतारने वाली बसपा क्या कैराना लड़ेगी। बसपा के लडऩे पर क्या सपा के वोट उसे ट्रांसफर होंगें। पश्चिमी उप्र की कैराना का समीकरण गोरखपुर व फूलपुर से भिन्न है। कैरान में पिछड़े गुर्जर, क्षत्रिय, जाट, कश्यप, दलित व वैश्य समुदाय के मतदाता है। कैराना की पांच विधानसभा क्षेत्रों में से 4 पर भाजपा का कब्जा है। उप्र के लोकसभा के दो उपचुनाव बसपा की मदद से जीत कर सपा ने अपनी सीटों की संख्या 7 कर ली है, जबकि बसपा के लोकसभा सदस्यों की संख्या 0 से आगे नही बढ़ी है। लेकिन 2019 के चुनाव में गठबंधन तक पहुंचने में दोनों दलों को लंबा फासला तय करना है। गुरूवार को गठबंधन के भविष्य को लेकर तस्वीर बहुत साफ नही हुई है। 2014 के लोकसभा चुनाव में 34 सीटों पर बसपा दूसरे स्थान पर थी। सपा को 5 सीटें मिली थी, तथा 31 सीटों पर वह दूसरे स्थान पर थी। कांग्रेस 6, आप एक सीट पर व एक पर रालोद दूसरे स्थान पर थी। एक साथ दो लोकसभा सीटों पर जीत से सपा खेमे में उत्साह की लहर है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि कभी-कभी पुरानी बातों को भूलना पड़ता है। भविष्य के बारे में कोई कुछ नहीं कह सकता, लेकिन आगे वही बढ़ता है, जो पुरानी बातों को भूल जाता है। उन्होने कांग्रेस से रिश्तों की पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारे कांग्रेस के साथ अच्छे संबंध बने रहेंगे। राहुल और मैं नौजवान हैं। हम दोनों को साथ बने रहना है।