योगी राज में डिजीटल होगा यूपी

लखनऊ। 22 करोड़ से अधिक आबादी वाले यूपी में जनता की शिकायतों के निपटारे के लिए डिजिटल प्लेटफार्म कारगर साबित हो रहा है। सरकार के विभागों से जुड़ी जनता की समस्याओं की सुनवाई के लिए जनसुनवाई पोर्टल पर छह महीने में 37 लाख मामले दर्ज किये है। जिनमें 33.64 लाख पर कार्रवाई की है। प्रदेश सरकार जल्दी ही मुख्यमंत्री को दिये जाने वाली समस्याओं की डिजिटल हेल्प लाइन शुरू करने जा रही है। मैनुअल सिस्टम में बड़ी संख्या में रोज आने वाली शिकायति पत्रों पर कार्रवाई का स्तर पता करना बेहद कठिन है। फिलहाल मुख्यमंत्री के जनता दरबार में मिलने वाली शिकायतों को डिजीटल करने में दो से तीन दिन लग जाते है।
सरकार ने सभी जिला मुख्यालयों को ई-ऑफिस व्यवस्था से जोडऩे का अभियान चलाया है। सरकार का लक्ष्य है कि एक जनवरी 2018 तक सभी विभागों को भी ई-ऑफिस से जोड़ दिया जाए। राज्य सचिवालय में एक अक्तूबर से ही ई-ऑफिस व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। सरकारी पत्रावली के डिजीटल होने से न सिर्फ पारदर्शिता आएगी बल्कि काम तेजी से होंगे। डिजीटल होने से सरकारी कार्यालयों में कागज की खपत कम होगी। न तो डॉक्यूमेंट चोरी हो सकेंगे और न ही जलाए जा सकेंगे। पर्यावरण के अनुकूल होगा।
प्रमुख सचिव सचिवालय प्रशासन महेश कुमार गुप्ता ने बताया कि ई-ऑफिस को लेकर तेजी से तैयारियां चल रही हैं। सचिवालय के 95 विभागों के 455 अनुभागों में एक अक्तूबर से ई-ऑफिस व्यवस्था लागू हो रही है। सचिवालय के 4000 कर्मियों को इस प्रणाली का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए कंप्यूटर, स्कैनर, प्रिंटर आदि की भी व्यवस्था की जा रही है। ई-ऑफिस सिस्टम में प्रार्थना पत्रों पर आदेश-निर्देश से लेकर नीतिगत मामलों तक अपने अभिमत और टिप्पणियां मंत्रियों को खुद ही देनी होंगी। इसके लिए उन्हें लॉगइन आईडी और पासवर्ड दिए जाएंगे। ई-सिस्टम से हर मामले पर की जा रही कार्रवाई एक क्लिक से पता हो सकेगी। नए सिस्टम में काम की टाइमलाइन पास होते ही वरिष्ठ अधिकारियों को पता चल जाएगी। नई व्यवस्था में आरटीआई का जवाब चंद मिनटों में ही दिया जा सकेगा।