सांस्कृतिक विरासत के रूप में देखें हस्तकला को: सुरभि रंजन

लखनऊ। आकांक्षा समिति की प्रदेश अध्यक्षा एवं समाज सेविका सुरभि रंजन ने कहा कि वस्त्र उद्योग में हस्तकला को बढ़ावा देने से न केवल इस व्यवसाय को प्रोत्साहन मिलता है बल्कि इससे जुड़े श्रमिक कामगार व्यक्तियों के कला को सम्मान मिलता है। उन्होंने कहा कि हस्तकला को मात्र किसी उद्योग के रूप मे न देखकर इसे सांस्कृतिक विरासत के रूप मे भी देखना चाहिए क्योंकि हस्तकला कृतियों में हमारी संस्कृति की झलक मिलती है। उन्होंने कहा कि हस्तकला से जुड़े व्यवसायों को आधुनिकतम रूप देना आज के वक्त की आवश्यकता है।
सुरभि रंजन ने ग्रामीण हस्तकला विकास समिति द्वारा आयोजित वीव्स ऑफ इंडिया सिल्क प्रदर्शनी का शुभारम्भ करने के उपरान्त अपने विचार व्यक्त कर रही थीं। उन्होंने कहा कि ऐसी प्रदर्शनियों के आयोजन से हस्तकला व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों को प्रोत्साहन मिलता है। उन्होंने कहा कि आज के यांत्रिक युग में हस्तकला को प्रोत्साहित करने से आधुनिक प्रतिष्ठानों के साथ-साथ गांव कस्बों तक के जुड़े से छोटे-छोटे वस्त्र उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। श्रीमती रंजन ने सिल्क प्रदर्शनी का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर किया। वीव्ज ऑफ इण्डिया सिल्क प्रदर्शनी में देश के विविध प्रान्तों के राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय वैरायटी का चुनिंदा संग्रह लगभग 100 श्रेष्ठ बुनकरों द्वारा प्रदर्शित किया गया है। उन्होंने देश के विभिन्न प्रान्तों जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, असम तथा बिहार आदि से आये हस्तकला वस्त्र उद्योग से जुड़े लोगों के स्टाल का अवलोकन कर उनके कलाओं को देखा एवं उन्हें प्रोत्साहित भी किया।