सूर्य स्नान: कई बीमारियों से बचाता है

डेस्क। सनातन परंपरा के ऊर्जा स्रोत पर्व-त्योहारों का जुड़ाव आम लोगों की सेहत से भी है। ऋषियों ने ऋतुओं के संधि या परिवर्तन काल में पर्व विधानों का इस ढंग से नियोजन किया है जिनसे सेहत को भी फायदा हो। इनमें सूर्य षष्ठी व्रत भी है जिसका सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं है। इस चार दिवसीय व्रत का एक-एक अनुष्ठान मानव स्वास्थ्य से सीधे जुड़ा है।
विज्ञान के अनेक शोधों से प्रमाणित हो चुका है कि सूर्य षष्ठी के व्रत काल में नियम पूर्वक सूर्य स्नान करने से सौ से अधिक खतरनाक रोगों से बचा जा सकता है। इनमें मधुमेह, हड्डियों में दर्द से लेकर कैंसर जैसे घातक रोग शामिल हैं। छठ पर्व स्वास्थ्य एवं ऊर्जा का खजाना है। डूबते और उगते सूर्य को अघ्र्य देते समय पात्र से गिरते जल धार में पराबैंगनी किरणों के हानिकारक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि अघ्र्य देते समय सूर्य को नहीं, जलधार से छन कर आती सूर्य किरणों को देखते रहना चाहिए। शुद्ध किरणें जैव-रासायनिक प्रक्रिया के जरिए शरीर को रोग मुक्त करती हैं।
सौर ऊर्जा के प्रभावों और दुष्प्रभावों पर अध्ययन करने वाले बीएचयू के अवकाश प्राप्त प्रोफेसर आरएन श्रीवास्तव के अनुसार सूर्य षष्ठी के उपवास काल में मनुष्य के शरीर में ऑटो हीलिंग तेज हो जाती है। इससे इम्युन सिस्टम मजबूत होता है। शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक विश्राम मिलता है। प्रो. श्रीवास्तव ने कहा कि सूर्य की किरणों में अद्भुत शक्तियां हैं, वही प्राणियों और वनस्पतियों की जीवनी शक्ति है। वे हमें हर रोग से बचाती हैं। विभिन्न देशों में किये गये अनुसंधानों से पता चला है कि सूर्य स्नान करने से मधुमेह, हड्डियों में दर्द, आस्टियोपोरोसिस, आस्टियोआर्थराइटिस, कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, ओवरी तथा गर्भाशय का कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर जैसे रोगों में लाभ मिलता है।
ज्योतिषाचार्य पं. संजय पांडे के अनुसार सूर्य षष्ठी तिथि पर विशेष खगोलीय परिवर्तन के कारण सूर्य की पराबैगनी किरणें पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक और अत्यंत सघन होकर एकत्र होती हैं। छठ के विधानों से उन किरणों के दुष्प्रभाव नष्ट हो जाते हैं।