हिन्दुत्व एजेंडे पर बीजेपी: विपक्ष हुआ लामबंद

विशेष संवाददाता, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले ऐसी तस्वीर बनती दिख रही है जहां बीजेपी को एकजुट विपक्ष से मुकाबला करना पड़ सकता है। ऐसे में बीजेपी की उम्मीदें दलित-ओबीसी में उसके सपॉर्ट बेस के अलावा हिंदुत्व अजेंडे पर टिकी हुई हैं। इसी वजह से बीजेपी ने एक तरफ पिछड़े समुदाय से जुड़े बिलों को आगे बढ़ाया है तो दूसरी तरफ अवैध प्रवासियों को लेकर मोर्चा खोला है। बीजेपी के कई नेताओं और पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि असम के नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) का मामला खासकर पूर्वी राज्यों और हिंदी पट्टी में बीजेपी के लिए वोट जुटाने वाला साबित हो सकता है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह संसद से लेकर सडक़ तक हर जगह इस मुद्दे को उठा रहे हैं। अमित शाह अपने इस कैंपेन में बीजेपी को अकेले राष्ट्रीय सुरक्षा का ख्याल रखनेवाली जबकि विपक्ष को वोट बैंक को तरजीह देने वाला साबित करने में जुटे हुए हैं। बीजेपी की कोशिश है कि यूपी और राजस्थान जैसे प्रदेशों के उपचुनावों में मिली हार के बावजूद 2014 के आम चुनावों में दलित और अन्य पिछड़े वर्ग से उसे जो समर्थन हासिल हुआ था उसका बड़ा हिस्सा 2019 के चुनावों तक बना रहे। पार्टी मैनेजरों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी ऐक्ट पर दिए गए फैसले को पलटने के लिए लोकसभा में बिल लाने से इस समुदाय का दिल जीतने में मदद मिलेगी। यूपी में अखिलेश और मायावती के हाथ मिलाने के बाद बीजेपी के लिए इस समुदाय का समर्थन हासिल करना काफी अहम हो गया है। 2014 में बीजेपी को यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 71 और उसकी सहयोगी अपना दल को 2 सीटों पर जीत मिली थी। संयुक्त विपक्ष से लड़ाई होने पर बीजेपी के लिए इस प्रदर्शन को दोहराना काफी कठिन माना जा रहा है। बीजेपी को उम्मीद है कि 10 अगस्त को खत्म हो रहे मॉनसून सत्र में एससी-एसटी ऐक्ट बिल संसद से पास हो जाएगा।