2015-16 के दौरान यूपी में नाबार्ड का कारोबार रु.11785 करोड़ से अधिक रहा

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लखनऊ। नाबार्ड के उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय का राज्य के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. ग्रामीण विकास बैंकों तथा सहकारी संस्थाओं के माध्यम से कृषि ऋण वितरण, ग्रामीण आधारभूत सुविधा विकास निधि के माध्यम से आधारभूत सुविधाओं का निर्माण, स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिला सशक्तीकरण तथा राज्य में अल्पावधि सहकारी ऋण संरचना का सुदृढ़ीकरण इस दिशा में उसके विशेष प्रयास रहे हैं। नाबार्ड राज्य में इसके अलावा भी कई अन्य नवोन्मेषी पहलों का सूत्रधार रहा है।
वर्ष 2015-16 के दौरान उत्तर प्रदेश में नाबार्ड के व्यावसायिक परिचालनों की कुल राशि रु. 11785 करोड़ से अधिक रही। जिसमें से रु.6050 करोड़ की राशि किसानों को फसल ऋण के वितरण के लिए ग्रामीण बैंकों तथा सहकारी बैंकों को जारी की गई, रु.2659.70 करोड़ की राशि पूँजी निर्माण हेतु निवेश के लिए विभिन्न बैंकों को जारी की गई, रु. 910.77 करोड़ की राशि जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों को सीधे ऋण वितरण के रूप में जारी की गई तथा रु.1719.77 करोड़ की राशि ग्रामीण आधारभूत सुविधा विकास निधि के अंतर्गत उत्तर प्रदेश सरकार को जारी की गई ।
सूक्ष्म वित्त सेवाओं के प्रसार को ध्यान में रखते हुए नाबार्ड द्वारा पहली बार एन बी एफ सी – एम एफ आई को रु 292. 33 करोड़ का पुनर्वित्त जारी किया गया है ।
वर्ष के दौरान ग्रामीण आधारभूत सुविधा विकास निधि के तहत मंजूरियों की राशि कुल 175 परियोजनाओं के लिए रु.2211.80 के रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच गई जिससे राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में आधारभूत संरचना निर्माण कार्य को बल मिलेगा । इसमे पी सी डी एफ को स्वीकृत रु 983 करोड़ की राशि से डेरी व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा ।
नाबार्ड का उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित कई योजनाओं के अंतर्गत अनुदान जारी करता है, जिसके तहत किसानों द्वारा सौर ऊर्जा, देरी, पोल्ट्री, और ग्रामीण गोदाम से जुड़ी आधारभूत अवस्थापनाओं के निर्माण हेतु सहायता दी जाती है। वर्ष के दौरान इन योजनाओं के लिए रु.104.32 करोड़ की सब्सिडी सहायता जारी की गई। इसमे हथकरघा क्षेत्र में वीवर क्रेडिट कार्ड धारकों को लिए रु.3.31 करोड़ की राशि जारी की गई।
नाबार्ड की विभिन्न विकास योजनाओं यथा सूक्ष्म ऋण, गैर कृषि क्षेत्र, सहकारिता विकास वित्तीय समावेशन कृषि क्षेत्र विकास , आदिवासी विकास , जलागम विकास आदि के विभिन्न संवर्धन कार्यक्रमों के तहत रु.26.02 करोड़ की राशि संवितरित की गई।
कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में 20 ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण केन्द्रों को अनुदान के रूप में रु.40.58 लाख की राशि मंजूर की गई है। नाबार्ड ने लखनऊ महोत्सव, सूरजकुंड मेला आदि के माध्यम से ग्रामीण दस्तकारों को सहायता करना भी जारी रखा।
31 ज़िला सहकारी बैंकों को रु 23.76 करोड़ की सहायता प्रदान करते हुए उनके चुने हुए पैक्स ( कृषि सहकारी समितियों ) को डिपॉज़िट संस्थाओं की तरह विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है ।
ग्रामीण महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूह सहित सूक्ष्म ऋण से जुड़े अन्य परिचालनों को जारी रखते हुए वर्ष 2015-16 के दौरान राज्य में 40438 स्वयं सहायता समूहों का बैंक संवर्धन किया गया। वर्ष के दौरान अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रमों तथा सूक्ष्म उद्यमिता विकास कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस दौरान गठित संयुक्त देयता समूहों की संख्या 40173 रही ।
नाबार्ड द्वारा वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण बैंकों तथा सहकारी बैंकों के अधीन 227 वित्तीय परामर्श केंद्र की स्थापना की गयी है । साथ ही राज्य के 1500 स्कूल में बच्चों को बैंक संबन्धित जानकारी देने के लिए वित्तीय साक्षारता क्विज का भी आयोजन किया गया ।
130 किसान उत्पादक संगठनों को अनुदान सहायता मंजूर किया गया है, जिसके अंतर्गत अबतक 80 से अधिक कृषक उत्पादन कंपनी ने पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया है ।
नाबार्ड द्वारा स्टैंड अप इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत सभी बैंकर और अन्य संस्थाओं के लिए राज्य स्तरीय कार्यशाला का भी आयोजन किया गया, ताकि अनसूचित जाती / अनसूचित जनजाति तथा महिला उद्यमियों को सरलता से बैंक ऋण प्राप्त करने के लिए मार्ग प्रशस्त हो सकेगा ।
नाबार्ड द्वारा वर्ष 2016-17 के लिए उत्तर प्रदेश में बैंकों द्वारा कृषि, लघु/ सूक्ष्म उद्यम के साथ-साथ अन्य प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों के वित्तपोषण के लिए रु.177917 करोड़ का लक्ष्य रखा है जो वर्ष 2015-16 के वित्तपोषण स्तर से 21त्न अधिक है ।