अखिलेश सरकार की कैबिनेट ने किये कई फैसले

cm newलखनऊ। यूपी की अखिलेश सरकार की कैबिनेट ने आज कई फैसले लिये।

राज्य इनोवेशन फण्ड की स्थापना को मंजूरी
इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए राज्य इनोवेशन फण्ड की स्थापना का निर्णय लिया गया है। वर्ष 2015-16 में प्रारम्भिक रूप से इस फण्ड के लिए 50 करोड़ रुपए की वित्तीय व्यवस्था की जाएगी। आने वाले वर्षों में आवश्यकतानुसार इसका आकार तय किया जाएगा।
शासन के विकास एजेंडा वर्ष 2015-16 के सूत्र-150 के तहत शामिल इनोवेशन को प्रशासनिक क्षेत्र तक सीमित न रखते हुए उसकी व्यापकता के रूप में असंगठित क्षेत्र को भी शामिल करने का फैसला लिया गया है। इनोवेशन को प्रोत्साहित करने के लिए तथा इन्क्लूसिव विकास प्रक्रिया को गति प्रदान करने के उद्देश्य से एक उच्चाधिकार प्राप्त, राज्य इनोवेशन परिषद का पुनर्गठन भी किया जाएगा।
उप्र राज्य जैव ऊर्जा विकास बोर्ड के गठन का फैसला
उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा विकास बोर्ड के गठन का फैसला लिया गया है। राज्य जैव ऊर्जा नीति-2014 (मिशन बायोडीजल, मिशन बायोएथेनॉल, मिशन बायोगैस, मिशन प्रोड्यूसर गैस) तथा औषधीय एवं संगन्ध पौधों, पुष्पों, कन्दों के कृषिकरण, रोपण, उत्पादन से सम्बन्धित परियोजनाओं, योजनाओं, कार्यों को प्रभावी, सुचारू रूप से तथा समयबद्ध ढंग से सम्पादित करने हेतु बायो इनर्जी मिशन सेल को व्यवस्थित एवं सुदृढ़ किये जाने, कार्यालयी संगठनात्मक ढांचा बनाने एवं विकसित करने के लिए उ0प्र0 राज्य जैव ऊर्जा विकास बोर्ड का गठन किया गया है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को एक साथ लागू करने का निर्णय
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के प्रावधानों को प्रदेश में एक साथ लागू करने का निर्णय लिया गया है। इस पर आने वाले व्यय की व्यवस्था आगामी वित्तीय वर्ष 2016-17 के बजट में की जाएगी।

उप्र राज्य खाद्य आयोग के गठन का निर्णय
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की धारा-16 सपठित धारा-40 के अंतर्गत उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य आयोग के गठन के फैसले के साथ एवं उससे सम्बन्धित नियमावली को मंजूरी दे दी गई है। यह आयोग जिला शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा पारित आदेशों के विरूद्ध अपीलों की सुनवाई करेगा। आयोग में एक अध्यक्ष, पांच अन्य सदस्य एवं एक सदस्य-सचिव होंगे। आयोग में कम से कम 2 महिलाएं होंगी, चाहे वे अध्यक्ष, सदस्य या सदस्य-सचिव हों। उक्त सदस्यों में एक अनुसूचित जाति एवं एक अनुसूचित जनजाति का होगा।
नयी रजिस्ट्रीकरण फीस सारणी लागू
रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 में वर्णित रजिस्ट्रीकरण फीस सारणी के पुनरीक्षण का निर्णय लिया गया है। इसके तहत निबन्धन शुल्क की अधिकतम सीमा को बढ़ाकर 20 हजार रुपया किये जाने का निर्णय लिया गया है। वर्तमान में विक्रय पत्र एवं सदृश्य विलेखों के लिए निबन्धन शुल्क की दरों की अधिकतम सीमा 10 हजार रुपए है, जो कि लगभग 6 वर्ष पुरानी हो गयी है।
इसके अतिरिक्त, निबन्धन शुल्क सारणी अन्य प्रमुख दस्तावेजों-दत्तक ग्रहण, वसीयत, एटॉर्नी विशेष, एटॉर्नी सामान्य, नकल एवं मुआयना आदि पर रजिस्ट्री की वर्तमान दरें 1995 में निर्धारित की गयी थी, जो लगभग 20 वर्ष से अधिक पुरानी हो गयी हैं। इन दरों में भी संशोधन का निर्णय लिया गया है। दत्तक ग्रहण के लिए निबन्धन शुल्क 100 से बढाकर 500 रुपए, वसीयत के लिए 100 से बढाकर 500 रुपए, एटॉर्नी विशेष के लिए 10 से बढाकर 250 रुपए, एटॉर्नी सामान्य के लिए 50 से बढाकर 500 रुपए, नकल के लिए 10 रुपए एवं 01 रुपए प्रति पृष्ठ का योग अगले 10 रुपए पर पूर्णांकित करते हुए तथा मुआयना के लिए 05 रुपए प्रति वर्ष अधिकतम 50 रुपए से बढाकर 10 रुपए प्रतिवर्ष तथा अधिकतम 100 रुपए करने का निर्णय लिया गया है।