टीपू सुल्तान की जयंती मनाने पर मचा बवाल, एक की मौत

tipu-sultanनई दिल्ली। अंग्रेजी हुकूमत की नाक में दम करने वाले शासक टीपू सुल्तान की जयंती पर हंगामा मचा हुआ है। कर्नाटक सरकार द्वारा 10 नवम्बर को टीपू सुल्तान की जयंती के रूप में मनाने की घोषणा के बाद विरोध और तेज हो गया है। मैंगलोर के कूर्ग जिले के लोगों ने कर्नाटक सरकार के इस फैसले पर गहरी आपत्ति जताते हुए कहा है कि वे 10 नवम्बर को ब्लैक डे के रूप में मनाएंगे।
वहीं दूसरी ओर, जयंती कार्यक्रम के विरोध को लेकर दो समुदाय के लोगों के बीच हुई हिंसक झड़प में विश्व हिंदू परिषद के 50 साल के एक कार्यकर्ता कुतप्पा की अस्पताल में मौत हो गई। बताया जा रहा है कि दोनों गुटों के बीच हुई पत्थरबाजी के दौरान कुतप्पा के सिर पर लगी चोट की वजह से उनकी मौत हो गई। विश्व हिंदू परिषद और हिंदू सेना ने टीपू सुल्तान को हिंदू विरोधी बताते हुए राज्य सरकार के जयंती मनाने के फैसले का विरोध किया था।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष प्रह्लाद जोशी ने भी टीपू सुल्तान को धार्मिक रूप से क्ट्टर और कन्नड़ विरोधी बताते हुए कहा था कि उनकी पार्टी की ओर से किसी भी स्तर का प्रतिनिधि कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेगा।
वहीं, कनार्टक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने टीपू सुल्तान की जयंती के विरोध को बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि ये सांप्रदायिक ताकतों द्वारा रची साजिश है। दूसरी तरफ भाजपा और हिंदू संगठन भी कूर्ग में तेज हुए विरोधी स्वर से किनारा कर चुके हैं। लेकिन, वास्तविकता यह है कि टीपू सुल्तान की जयंती मनाने के कर्नाटक सरकार के फैसले से कूर्ग के लोगों को आघात पहुंचा है।
ऐतिहासिक पुस्तकों के कूर्ग लेखक सी.पी. बेलिअप्पा कहते हैं कि वह (टीपू सुल्तान) एक विश्वासघाती तानाशाह था। सी.पी. बेलिअप्पा महारानी विक्टोरिया द्वारा अपनाई गई कूर्ग राजकुमारी की कहानी पर आधारित विक्टोरिया गौरम्मा जैसी लोकप्रिय किताब लिख चुके हैं। बेलिअप्पा ने कहा है कि कूर्ग जिला टीपू सुल्तान के अत्याचार से सीधे प्रताडि़त था। हैलरी राजवंश के शासनकाल में टीपू सुल्तान ने कई मंदिरों का विनाश किया। काफिरों की हत्या कराई। इतना ही नहीं, बड़े पैमाने पर लोगों का धर्म परिवर्तन भी कराया गया था। बेलिअप्पा के अनुसार, भारी तबाही के बाद जब कूर्ग में युद्ध की स्थिति पैदा हुई तो टीपू सुल्तान ने कूर्ग के लोगों को शांति पर चर्चा के लिए कावेरी नदी के समीप बागामंडला नामक जगह पर बुलाया। कूर्ग के लोगों को फंसाने के लिए यह टीपू सुल्तान की तरफ से बिछाया गया एक जाल था। जब कूर्ग के लोग वहां पहुंचे तो घात लगाकर पहले से बैठे सुल्तान के लोगों ने कूर्गवासियों पर हमला बोल दिया। उन्हें बंधक बनाकर श्रीरंगपट्टनम लाया गया। वहां, बंधकों को खतना कराने और मांस खाने के लिए मजबूर किया गया।
कुरनूल के नवाब को लिखे पत्र में टीपू सुल्तान ने दावा किया था कि उन्होंने कूर्ग के 40,000 लोगों को कैदी बनाकर उन्हें इस्लाम कुबूल करवा कर अहमदी कोर में शामिल किया। टीपू सुल्तान द्वारा इस्लाम में परिवर्तित किए गए कुछ कूर्ग परिवार के वंशज आज भी अपने मूल कूर्ग परिवार के नाम को बनाए रखे हैं। टीपू ने जब कूर्ग में मंदिरों को नष्ट करना शुरू किया था, तब मरकारा स्थित ओमकारेश्वर मंदिर की रक्षा करने के लिए उस शहर के निवासियों ने मंदिर के शिखरों को गुंबदों में बदल दिया था। आज भी वहां गुंबद वाले मंदिर सदियों से बरकरार हैं। मैसूर गजट के अनुसार, तब राज्य में केवल दो मंदिरों में दैनिक पूजा होती थी। गजट में लिखा है कि टीपू ने दक्षिण भारत में लगभग आठ हजार मंदिरों को नष्ट कर दिया था।
एजेंसियां