भटके बच्चों को अपनों से मिला रही सेफ सोसाइटी

safe socityगोरखपुर। गोरखपुर रेलवे स्टेशन दुनिया का सबसे बड़ा प्लेटफार्म होना गौरव की बात है! इस गौरव के साथ यहॉ मानव समाज की कई अनसुलझी कहानियां वित्तचित्र बनते बिगड़ते रहते हैं। यहॉ रोजगार तलाशने; भविष्य निर्माण के लिये बेरोजगार रोज ट्रेन पकडऩे-छोडऩे आते हैं। रोजमर्रा वाले लोगों को उनके गंतब्य ले जाने ले आने का काम ट्रेन रोज करती है। इन्ही के साथ घर से भागे हुए बच्चे आजादी पाने के लिये निकल कर गलत संगत में पड़ जाते है। उन्हे सही रास्ते पर ले जाने के लिये यूनाइटेड किंगडम की संस्था पाल हैमलिन फाउण्डेशन के सहयोग से सेफ सोसाइटी के कार्यकर्ता अपने घर से भटके बच्चों को उनके घर सुरक्षित पहुंचाने में सहयोग कर रही है। अब तक बीते छ:माह में लगभग 85 बच्चों को जो विभिन्न कारणों से अपने घर से भाग गये थे उन्हे सरकारी सेवाओं के सहयोग से पुन: उनके घर पहुॅचाया । कार्यकर्ता शर्मीला के मुताबिक स्टेशन पर भाग कर आये बच्चों को जीआरपी के साथ मिलकर काउंसलिंग के जरिये हम कारण पता करते हैं कि बच्चे के घर से भागने की वजह क्या थी उसे कैसे दूर किया जा सकता है। इस दौरान बच्चों के मॉ बाप से भी बातचीत की जाती है। उसने बताया कि 4से 5 बच्चे प्रतिदिन यहॉ भाग कर आते है। सजग निगाह रखने के बावजूद 10 प्रतिशत ही सम्पर्क में आ पाते है। कार्यक्रम अधिकारी क्रिश्टोफर किरन के अनुसार घर से भागे हुए बच्चों पर गोरखपुर विश्वविद्यालय के साइकॉलाजी विभाग के साथ मिलकर सेफ एक शोध करने जा रहा है जिसमें यह जानने की कोशिश है कि बच्चों के घर से भागने वाली समस्या का मूल कहॉ है और इसका पूर्ण समाधान क्या है।