मेट्रो चलने से पहले ही हुआ 160 करोड़ का गोलमाल

Lucknow_metroलखनऊ। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष जनहित याचिका दायर कर लखनऊ मेट्रो के लिए कोच और ट्रेन कंट्रोल व सिग्नलिंग सिस्टम की आपूर्ति के लिए टेंडर में अनियमितता बरतने का आरोप लगाया गया है। याचिका में टेंडर हासिल करने वाली कंपनी को 160 करोड़ रुपये अधिक भुगतान किए जाने का दावा करते हुए, पुन: टेंडर कराए जाने की मांग की गई है। 27 नवंबर को याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एसएन शुक्ला की खंडपीठ ने राज्य सरकार, लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एलएमआरसी) व दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) से जवाब मांगा है।
अधिवक्ता देशरत्न सिन्हा ने दिनेश शर्मा की ओर से याचिका दाखिल कर कहा कि मेट्रो कोच की आपूर्ति और ट्रेन कंट्रोल व सिग्नलिंग सिस्टम के लिए अल्स्टॉम कम्पनी को मनमाने ढंग से टेंडर आवंटित कर दिया गया। इस प्रक्रिया में प्रासंगिक नियमों और सेंट्रल विजिलेंस कमीशन की गाइडलाइंस को भी नजरंदाज करने का आरोप याचिका में लगाया गया है। दलील दी गयी है कि अल्स्टॉम कम्पनी को अनुचित फाएदा पहुंचाने के उद्देश्य से 160 करोड़ रुपये अधिक भुगतान भी कर दिया गया। दावा किया गया कि कंपनी के कई वरिष्ठ अधिकारी ब्रिटेन में डीएमआरसी में ठेकों के लिए घूस देने के आरोपों का भी सामना कर रहे हैं। इस मामले में ब्रिटेन के सीरियस फ्रॉड ऑफिस द्वारा चलाए जा रहे अभियोजन में सीबीआइ द्वारा ही अभियोजन पक्ष को जानकारियां दी जा रही हैं। याचिका में टेंडर आवंटन के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर भी सवाल उठाने के साथ राज्य सरकार के तत्कालीन सलाहकार मधुकर जेटली द्वारा अल्स्टॉम कम्पनी और टेंडर प्रक्रिया पर उठाए गए सवालों पर भी न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कराया गया है। न्यायालय ने 17 दिसंबर तक प्रतिवादियों को जवाब देने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी को होगी।