बुंदेलखंड पैकेज से नहीं रुका पलायन: बुंदेली समाज का सर्वे

Bundelkhand1महोबा। केन्द्र व राज्य सरकार की तरफ से अकालग्रस्त बुंदेलखंड को अब तक जितनी सहायता राशि व सुविधाएं मुहैया कराई गयीं, वे पलायन को रोकने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई हैं, ये खुलासा बुंदेली समाज की तरफ से कराये गये सर्वे से हुआ है, बुंदेलखंड के सभी सातों जिलों में एक जून से 15 जून के मध्य एक हजार लोगों से हुई बातचीत में 98 फीसदी लोगों ने माना कि बुरे वक्त में बुंदेलखंड में पैसा तो बहुत आया लेकिन सब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया, जरूरतमंद जनता को उसका लाभ नहीं मिल पाया, इसी का परिणाम है कि गांव के गांव खाली हो गये, किसान-मजदूर काम की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर गये, गांवों की कम से कम 60 फीसदी आबादी शहरों में भटक रही है, पैकेजों में हुआ भारी घोटाला, बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने सर्वे रिपोर्ट जारी करते हुए यहां बताया कि एक हजार में से 981 लोगों ने माना कि राहत पैकेजों से राहत नहीं मिली, पलायन बिल्कुल भी नहीं रोक पाये राहत पैकेज, 986 लोगों ने माना कि तालाबों, कुंओं आदि परंपरागत जलस्रोतों को बचाने, संरछित करने के लिए सरकारों ने सार्थक प्रयास नहीं किये, राज्य सरकार ने जो तालाब खुदाई मई में शुरू कराई, वह दो महीने पहले शुरू होना चाहिए थी, अब बारिश शुरू हो गयी है, तालाब कैसे पूरे खुदेंगे, बस कागजों में खुद जायेंगे, 910 लोगों ने माना कि सरकार की घोषणा के बावजूद पशुओं को भूसा, चारा व पानी नहीं मिला, इनके अभाव में हजारों गाय-बैल तड़प तड़प कर मर गये, 949 लोगों ने कहा कि बुंदेलखंड के ह्रदयस्थल महोबा आ रही पानी एक्सप्रेस को झांसी से लौटाना अखिलेश सरकार का सबसे गलत फैसला था जिसने अखिलेश सरकार की तरफ से शुरू किये गये राहत पैकेट वितरण के राजनैतिक लाभ को धो डाला, जिन एक हजार लोगों से बातचीत की गई, उनमें एक व्यक्ति भी ऐसा नहीं मिला जो बिजली व्यवस्था से संतुष्ट मिला हो, जनता भीषण बिजली कटौती, मनमाने लोड व बिलों से बुरी तरह त्रस्त नजर आई, 850 लोगों ने कहा अखिलेश सरकार के राहत पैकेट वास्तविक जरुरतमंदों को नहीं मिल रहे, अपने लोगों को दिला रहे सपाई, 909 लोगों ने माना कि संसाधनों की कमी से नहीं, बुंदेलखंड भारी भ्रष्टाचार से जूझ रहा है, सरकार को चाहिए कि वह अब तक आये धन का जनता को पूरा ब्यौरा दे, पैकेजों से जो काम हुए, उनकी सीबीआई जांच कराये और जो धन अब आ रहा है, उस पर नजर रखने के लिए जिला, तहसील स्तर पर वकीलों, पत्रकारों आदि की निगरानी समिति बननी चाहिए, श्री पाटकर ने कहा कि यह सर्वे 1-15 जून के मध्य बुंदेलखंड के सभी सात जिलों महोबा, हमीरपुर, बांदा, झांसी, ललितपुर, उरई-जालौन व चित्रकूट में किया गया और एक हजार लोगों से आमने सामने व फोन पर बातचीत की गई।