मीटर 29 जुलाई न लगा तो उपभोक्ताओं को बिजली फ्री

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लखनऊ। अनमीटर्ड उपभोक्तओं के यहां अगर आगामी 29 जुलाई तक बिजली विभाग मीटर नहीं लगा देता है तो उसे लाखों उपभोक्ताओं को अगले महीने से मुफ्त बिजली मिलेगी। वर्तमान में शहरी क्षेत्र के अनमीटर्ड लगभग 30 से 40 लाख विद्युत उपभोक्ताओं से बिजली कम्पनियां बिना आयोग की अनुमति के नारमेटिव बिलिंग के आधार पर 155 यूनिट प्रति किलोवाट प्रति माह की दर से वसूली कर रही हैं। उपभोक्ता परिषद की याचिका पर सुओ मोटो कार्रवाई करते हुये प्रदेश की सभी बिजली कम्पनियों को यह निर्देश दिये गये थे कि दो महीने के अंदर अनमीटर्ड उपभोक्ताओं के यहां मीटर न लगाया गया तो उन्हें बिजली कम्पनियों को फ्री में बिजली देनी होगी। जिसकी समय सीमा 29 जुलाई को समाप्त हो रही है। ऐसे मेें बिजली कम्पनियां अगर शहरी क्षेत्र के अनमीटर्ड घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं जिनके यहां तय समय सीमा तक मीटर न लगाया गया तो अब उन सभी उपभोक्ताओं को फ्री में बिजली देनी होगी।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि आयोग का आदेश जारी होने के बाद पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने नियामक आयोग में जून के पहले सप्ताह में एक रिव्यू याचिका दाखिल की थी। जिसमें दो माह की समय सीमा को छह माह तक बढाने का अनुरोध किया गया था जिसके विरोध में उपभोक्ता परिषद ने समय सीमा को बढाने का विरोध करते हुये सबसे पहले बिजली कम्पनियों के प्रबन्ध निदेशकों के खिलाफ विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142, 146 व 149 के तहत कार्रवाई करने की मांग करते हुये आयोग में पुनर्विचार प्रत्यावेदन दाखिल किये थे। विद्युत नियामक आयेाग ने पावर कॉरपोरेशन व उपभोक्ता परिषद दोनों के मुददों पर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 94(1) के तहत पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष, प्रबन्ध निदेशक व सभी बिजली कम्पनियों के प्रबन्ध निदेशकों को नोटिस भेजा है और पूरे मामले पर 11 अगस्त 2015 को आयोग में सुनवाई के लिये तिथि तय की है। साथ ही आयोग द्वारा बिजली कम्पनियों से पूरे मामले पर सभी संबंधित कागजात व कृत कार्रवाई की रिपोर्ट भी तलब की गयी है। वर्मा ने बताया कि 11 अगस्त को उपभोक्ता परिषद अनेकों ऐसे विधिक साक्ष्य पेश करेगा जो यह साबित कर देंगे कि बिजली कम्पनियों के उच्चाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई किया जाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के लगभग 30 से 40 लाख विद्युत उपभोक्ताओं से मीटर का मूल्य लेकर उनके परिसर पर मीटर नहीं लगाया गया और उल्टे उनसे 155 यूनिट प्रति किलोवाट प्रति माह की दर से वसूली शुरू कर दी गयी। जो पूरी तरह गलत है।