रहस्यमय विश्व धरोहर है खजुराहो: शिरोमणि स्वामी

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खजुराहो- ब्रिक्स सम्मेलन के आयोजन पर विश्व चेतना कम्यून के अध्यक्ष शिरोमणि स्वामी ने अपने निजी विचारों के माध्यम से प्रेस को जानकारी देते हुये कहा कि अतुल्य भारत को समझने के लिए अतुल्य तंत्र की तपोभूमि गोरख की नगरी खजुराहो को जानने के लिये तंत्र वैज्ञानिक होना चाहिये ब्रिक्स सम्मेलन में आये ब्रिक्स देषों के पर्यटन मंत्रियों तथा स्थानीय सरकारों से अनुरोध है कि इस तंत्र विज्ञान को किस तरह से तोड-मडोकर पर्यटकों के समाने पेष किया जाता है। इस विज्ञान को जानने के लिए तंत्र साधक तथा तंत्र वैज्ञानिक ही खजुराहो को समझ सकते है। तथा षिरोमणि स्वामी ने अनुरोध करते हुये यह भी कहा कि यह अतुल्य खजुराहो महज 3 से 5 किलोमीटर पर स्थित है। जो आज विष्व धरोहर के नाम से जाना जाता है। वह स्थानीय सरकारों की उपेक्षा का भी षिकार है। खजुराहो विष्व में ख्याति प्राप्त इतने कम क्षेत्रफल वाला खजुराहो दूल्हन की तरह सजा हुआ होना चाहिये। यहॉ पर ना कोई स्वास्थ्य पार्क न यहॉ कोई आध्यात्मिक योग केन्द्र है। जगह-जगह पर कचडों के ढेर रास्ताओं पर कीचड तथा दुर्गन्ध से भरा खजुराहो पर्यटकों का मोह भंग करता है। यहॉ के इतिहास के मुताबिक लोगों द्वारा दी जाने वाली आधी-अधूरी जानकारी के कारण पर्यटक मात्र सेक्स मंदिर समझकर चले जाते है। पर्यटक इस तंत्र महाविज्ञान को आज इतिहास से जोडकर चंदेल राजाओं की धरोहर यहॉ के स्थानीय जन बताते है गौरतलब बात है कि खजुराहो के मंदिरो का निर्माण किसी राजघराने ने नही किया बल्कि यह मंदिर तंत्र विज्ञान में विष्वनायक गुरू गोरखनाथ की देन है। जो उनके तंत्र साधकों के द्वारा निर्मित किये गये थे। इन तंत्र मंदिरों में विज्ञान और आध्यत्म का अनूठा संगम है। जो आज इस सदी के आध्यात्म विज्ञान के महानायक भगवान रजनीष जिन्हें आज पूरा विष्व ओषो के नाम से जानता है। उन्होने खजुराहो के तंत्र विज्ञान को जानने के लिए खजुराहो में ही महीनों बिताये हैं। जिन्होंने खजुराहो के आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण को खोजकर ख्याति प्राप्त की है। खजुराहो के मंदिरो का वर्णन अपने प्रवचनों में भी किया हैै जो आज उनकी पुस्तकों के माध्यम से पूरा विष्व पढ़ रहा हैै। ओषो ने स्थानीय गाईड गंगा स्वामी को मंदिरों के वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा आध्यत्मिक विज्ञान से परिचित करवाया था। आज भी गंगा गाईड अपने ओषो सन्यासी मित्रों तथा जो आध्यत्म में शोध कर रहे है वो स्वामी गंगा की शरण में आकर ओषो के नजरिये से मंदिरो को देखकर अबाक रह जाते है। स्वामी गंगा ने ओषो के नजरिये से एक बुक भी लिखी है जो कई भाषाओं में अनुवाद के लिए विषेषज्ञों के पास है। जैसे ही अनुवाद का कार्य पूर्ण हो जाता है। वैसे ही वो प्रिन्ट के लिए भेजी जायेगी। ब्रिक्स सम्मेलन मेे आये हुये सभी अतिथियों से अनुरोध करते हुये षिरोमणि स्वामी ने इस तंत्र की तपोभूमि विष्व के मानचित्र पर अंकित इस पावन एवं अतुल्य नगर खजुराहो के विकास की बागडोर किसी तंत्र वैज्ञानिक के माध्यम से खजुराहो की कार्य योजना तैयार की जानी चाहिये।