शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले: भगत सिंह को सलाम

Bhagat-Singh-4नई दिल्ली। आज पूरा देश शहीद-ए-आजम भगत सिंह के जन्मदिवस के अवसर पर उन्हें याद कर रहा है। देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते अपनी जान देने वाले भगत सिंह का जन्म 27 या 28 सितंबर 1907 को हुआ था। 23 मार्च 1931 को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फांसी पर लटका दिया गया।
भगत सिंह का जन्म पंजाब के किसान सरदार किशन सिंह के घर हुआ था, इनकी मां का नाम विद्यावती कौर था। 13 अप्रैल 1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड ने एक पढऩे लिखने वाले सिख लड़के की सोच को ही बदल दिया। लाहौर में स्कूली शिक्षा के दौरान ही उन्होंने यूरोप के अलग अलग देशों में हुई क्रांति के बारे में अध्ययन किया।
महात्मा गांधी ने जब 1922 में चौरीचौरा कांड के बाद असहयोग आंदोलन को खत्म करने की घोषणा की तो भगत सिंह का अहिंसावादी विचारधारा से मोहभंग हो गया। उन्होंने 1926 में देश की आजादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की। चंद्रशेखर आजाद के साथ उनकी पार्टी हिंदुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन से जुड़े। इसके बाद इस संगठन का नाम हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन हो गया। इस संगठन का उद्देश्य सेवा, त्याग और पीड़ा झेल सकने वाले नवयुवक तैयार करना था।
1929 में भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त और राजगुरु के साथ असेंबली में बम धमाके की योजना बनाई। बताया जाता है कि यह बम सिर्फ आजादी की लड़ाई के आगाज की सूचना अंग्रेजों के लिए पहुंचाना था। भगत सिंह और बटुकेश्वर ने एक-एक बम फेंका। धमाके में किसी की मौत नहीं हुई थी। भगत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। जेल में कैद रहने के दौरान भगत सिंह ने डायरी और किताबें भी लिखीं। अंग्रेजों ने 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में भगत सिंह को फांसी दे दी थी।