आखिर क्या है राज्यपाल की रंगीन मिजाजी का सच

governar apनेशनल डेस्क। अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ने आखिरकार इस्तीफा दे दिया। अपनी रंगीन मिजाजी और यौन शोषण के लिए काफी किस्से हवा में तैरने लगे थे। मेघालय के स्थानीय दैनिक हाइलैंड पोस्ट ने इस संबंध में एक स्थानीय महिला की खबर छापी थी, जिसने उस अखबार से बातचीत में आरोप लगाया था कि गवर्नर वी षणमुगनाथन ने नौकरी के लिए इंटरव्यू देने के दौरान उसका यौन शोषण किया और उसे गले लगाया एवं चुंबन लिया. उन पर पीआरओ व अन्य पदों पर सिर्फ महिलाओं को नियुक्त करने का आरोप लगा। हाइलैंड पोस्ट में खबर के प्रकाशन के बाद ही मेघालय के साथ अरुणाचल के राज्यपाल का भी प्रभार संभाल रहे वी षणमुगनाथन के खिलाफ मामले ने तूल पकड़ा और 400 महिला कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन किया व राजभवन के 98 कर्मचारियों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर कार्रवाई की मांग की. हालांकि राज्यपाल वी षणमुगनाथन स्वयं को निर्दोष बताते रहे और इसे खुद के खिलाफ साजिश बताया। बहरहाल, यह जांच का विषय है कि कौन सच्चा व कौन झूठा है. लेकिन, वी षणमुगनाथन पूर्व में दक्षिण में भारतीय जनता पार्टी के एक प्रमुख बौद्धिक चेहरे रहे हैं, जो 1962 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे. षणमुगनाथन की छवि को उभार कर भाजपा पूर्व में दक्षिण में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश करती रही है। 20 मई 2015 को मेघालय के राज्यपाल का पद संभालने वाले वी षणमुगनाथन ने पोस्ट ग्रेजुएट किया है और राजनीतिक विज्ञान में एम फिल हैं. संघ के बाद वे भाजपा में आ गये थे और तमिलनाडु में संगठन के कई पदों को संभालते रहे. उनकी बौद्धिक समझ के कारण उन्हें भाजपा ने डिफेंस, रिसर्च एंड डाक्यूमेंटेशन एंड ओवरसीज फ्रेंडस सेल का प्रमुख बनाया था. उनकी पहचान एक सफल लेखक की रही है. उन्होंने तमिलनाडु की संस्कृति एवं सामाजिक संदर्भ में तीन पुस्तकें भी लिखी हैं. उनके पूर्व के इन शानदार योगदान पर अब मौजूदा आरोपों की अधिक गहरी छाप दिख रही है. राज्यपाल ने राजभवन के कर्मचारियों पर भरोसा नहीं किया और असम राइफल्स के तीन जवानों की नियुक्ति कर ली। ये जवान किचेन, गार्डन और ऑफिस में मौजूद रहते थे, जबकि राजभवन के पास इस सब के लिए अलग से स्टाफ है। इससे स्पष्ट होता है कि उनका राजभवन के कर्मचारियों पर भरोसा नहीं है। राजभवन के इस स्टाफ ने कई गवर्नर के कार्यकाल में काम किया है और किसी ने कभी कोई शिकायत नहीं की। राजभवन में राज्यपाल के सेक्रेटरी के न रहने और डिप्टी सेक्रेटरी का पद खाली होने की वजह से राज्यपाल के सहायक बेकाबू हो गए हैं और कर्मचारियों को धौंस दिखाते हैं। अडंर सेक्रेटरी को यह काम संभालना चाहिए लेकिन उन्हें पहले ही हटा दिया गया। मेघालय राजभवन की सुरक्षा को खतरा बताते हुए कर्मचारियों ने कहा कि राज्यपाल के आदेश पर महिलाएं सीधे अंदर चली जाती हैं। राजभवन यंग लेडीज क्लब बन गया है। यह सभी बखूबी जानते हैं कि कई महिलाएं सीधे राज्यपाल के बेडरूम में जाती हैं। राज्यपाल की हरकतों के बारे में उनके एडीसी को पता है लेकिन वे सभी खामोश हैं। राज्यपाल के आदेश पर कुछ महिलाओं को राजभवन में नियुक्त भी किया गया है। इनमें- – चेन्नई की एक महिला को निजी कुक रखा गया है। – असम की युवती को पहले पीए की पोस्ट पर रखा गया था फिर उसे पीआरओ बना दिया गया।- इन दोनों कर्मचारियों को राज्यपाल के कहने पर सैलरी के अलावा रहना, खाना, कपड़े धुलने की सर्विस, सफाई का सामान, गाड़ी और राजभवन में रहने की सुविधा भी दी जा रही है। जबकि नियमों के मुताबिक उन्हें ये सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए। – जिस युवती को पीआरओ बनाया गया है उसके रिश्तेदार और दो दोस्त जिनमें से ज्यादातर जवान लड़कियां हैं उन्हें भी यही सुविधाएं दी जाती हैं। – राजभवन स्थायी मेडिकल सेटअप है जिसमें एक डॉक्टर और दो सहायक तैनात हैं उसके बावजूद राज्यपाल ने एक नर्स की नियुक्ति की। उन्होंने हाल ही में नाइट ड्यूटी के लिए एक प्राइवेट नर्स की भी नियुक्ति की है। 15 से 25 अक्टूबर 2016 के बीच एक महिला राजभवन में ठहरी थी, जिसे नर्स बताया गया था। उसे सारी वीवीआईपी सुविधाएं दी गईं और एक दिन वह राज्यपाल पर रात में दुव्र्यवहार का आरोप लगाते हुए चली गई। इसके बाद कई लेडी नर्स राजभवन में रात के समय रुकीं। गौर करने वाली बात ये है कि राज्यपाल कहीं के भी दौरे पर जाते हैं तो उनके साथ वह युवती जाती है जिसे पीआरओ की पोस्ट दी गई है लेकिन जब राज्यपाल अपने घर चेन्नई जाते हैं तो वह नहीं जाती। इस दौरान वह कहीं और छुट्टियां मनाती है। चि_ी में बताया गया कि कथित पीआरओ के लिए कोई ऑफिस तय नहीं है ऐसे में वह अपने बेडरूम से ही काम करती है जो कि राज्यपाल के बेडरूम से जुड़ा हुआ है और अधिकतर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती है। एक ही रूम में रुकते थे राज्यपाल और उनकी पीए कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि जब राज्यपाल मणिपुर के इंचार्ज थे और इंफाल दौरे पर जाते थे तो उनकी निजी सहायक जिसे क्कक्रह्र बनाया गया था उनके साथ ही रहती थी और वे एक ही रूम शेयर करते थे। राज्यपाल के महिलाओं के साथ अवैध संबंधों के बारे में शिलॉन्ग और इंफाल राजभवन के अलावा, नई दिल्ली और कोलकाता में स्थित मेघालय भवन के कर्मचारियों से पूछताछ करके सच्चाई जानी जा सकती है। हैरानी की बात यह भी रही कि 7 नवंबर 2016 को पीआरओ पोस्ट के लिए सिर्फ 10 महिलाएं को ही इंटरव्यू में बुलाया गया। जब इंटरव्यू के लिए आई महिलाओं ने सवाल उठाए तो सिर्फ फॉर्मलिटी के लिए अगले दिन पांच पुरुषों को भी इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। उनमें से सिर्फ दो को अगले राउंड के लिए सेलेक्ट किया गया ताकि सवाल न उठें।